छत्तीसगढ़: मुठभेड़ जांच की रिपोर्ट
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुये मुठभेड़ों की जांच आयोग की रिपोर्टे अब तक नहीं आई है. छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुये ताड़मेटला/चिन्तलनार मुठभेड़ जांच आयोग, बासागुड़ा/ साकरगुड़ा मुठभेड़ जांच आयोग तथा एडसमेड़ा घटना जांच आयोग की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. इन तीनों जांच आयोग का कार्यकाल कई-कई बार बढ़ाया जा चुका है.
12 मई 2011 में गठित ताड़मेटला/ चिन्तलनार मुठभेड़ जांच आयोग का कार्यकाल 12 बार बढ़ाया जा चुका है. 9 मई 2016 को इसका कार्यकाल फिर से बढ़ाया गया है. इसकी रिपोर्ट तीन माह के भीतर सौंपी जानी थी.
दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार क्षेत्र में हुई नक्सली व पुलिस मुठभेड़ और आगजनी की घटना की न्यायिक जांच के लिये छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायधीश टीपी शर्मा की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच आयोग का गठन 12 मई 2011 को किया गया था.
बासागुड़ा/ साकरगुड़ा मुठभेड़ जांच आयोग का कार्यकाल 9 बार बढ़ाया जा चुका है. 4 मई 2016 को इसका कार्यकाल फिर से 6 माह के लिये बढ़ाया गया है. इसे भी तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी थी.
बासागुड़ा/ साकरेगुड़ा नक्सली-पुलिस मुठभेड़ की जांच के लिये न्यायमूर्ति व्हीके अग्रवाल की अध्यक्षता में 11 जुलाई 2012 को न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था.
इसी तरह से एडसमेटा घटना जांच आयोग जिसका गठन 19 मई 2013 को किया गया था उसका कार्यकाल 7 बार बढ़ाया जा चुका है. 4 मई 2016 को इसका कार्यकाल 6 माह के लिये बढ़ाया गया है. इसे भी तीन माह के भीतर अपना रिपोर्ट देना था.
एड़समेटा घटना की जांच भी न्यायमूर्ति व्हीके अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित न्यायिक जांच आयोग कर रहा है.
झीरम घाटी घटना जांच आयोग का गठन 28 मई 2013 को किया गया था जिसे तीन माह के भीतर रिपोर्ट देनी थी. इसका कार्यकाल 6 बार बढ़ाया गया है. 23 फरवरी 2016 को इसका कार्यकाल 6 माह के लिये बढ़ाया गया है.
गौरतलब है कि 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित 31 लोगों को नक्सलियों ने भून दिया था.
सरगुजा के मीना खलको केस में जांच आयोग की रिपोर्ट आ चुकी है. मीना खलको मुठभेड़ की जांच सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिता झा ने की तथा 27 फरवरी 2015 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी.
जिसके बाद तत्कालीन पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का अपराध दर्ज किया गया है. मीना खलको केस में विपक्षी कांग्रेस का आरोप है कि आरोपी पुलिसकर्मी अब भी वर्दी में खुलेआम घूम रहे हैं. आरोपी जांच को प्रभावित कर सकते हैं.
छत्तीसगढ़ बनने के बाद बनी बिलासपुर नसबंदी कांड तथा बाल्कों चिमनी हादसे की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है. उल्लेखनीय है कि बाल्को चिमनी हादसे की सुनवाई के दौरान श्रम अदालत ने पूर्व सीईओ तथा सेपको के चेयरमैन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है. दोनों इस समय देश से बाहर हैं तथा उनकी गिरफ्तारी होती नहीं दिख रही है.
उल्लेखनीय है कि कोरबा की जिला श्रम न्यायालय ने बाल्को चिमनी हादसे में इसके पूर्व सीईओ गुंजन गुप्ता तथा इसे बनाने वाली चायनीज कंपनी सेपको के चेयरमैन हाउ जुओजीन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.