दुविधा में जोगी समर्थक विधायक ?
रायपुर | अन्वेषा गुप्ता: छत्तीसगढ़ में जोगी के समर्थन में खुलकर आने वाले विधायकों की संख्या 13 से कम है. अन्यथा छत्तीसगढ़ में जोगी त्रिपुरा के समान कमाल कर देते. त्रिपुरा के 10 में से 6 कांग्रेस विधायकों ने पार्टी का हाथ छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है. छत्तीसगढ़ में जोगी समर्थक कांग्रेस के विधायक जरूर हैं परन्तु उनकी इतनी संख्या नहीं है कि वे पार्टी छोड़कर अलग समूह या दल बना ले. देश का दल बदल कानून उन्हें इसकी इजाजत नहीं देता है.
त्रिपुरा की 60 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 10 विधायक थे जिसमें से मंगलवार को 6 विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस में प्रवेश कर लिया है. चूंकि उनकी संख्या कांग्रेस के एक तिहाई विधायकों से ज्यादा है इसलिये उन पर दल बदल कानून का शिकंजा नहीं कसा जा सकता है.
91 सदस्यों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में भाजपा के 49, कांग्रेस के 39, बसपा के 1 तथा निर्दलीय 1 विधायक हैं. ऐसे में पार्टी का दामन छोड़कर जोगी के साथ आने के लिये छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 13 विधायकों की जरूरत है. जाहिर है कि छत्तीसगढ़ में जोगी के साथ आने के लिये या तो इतनी संख्या में विधायक नहीं हैं या इतने समर्थक विधायक नहीं हैं जो खुलकर जोगी के साथ आने को तैयार है. यदि ऐसा होता हो अजीत जोगी अलग पार्टी की घोषणा करते समय कोटमी से कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ़ यह बगावत जरूर करवा देते.
छत्तीसगढ़ में जोगी समर्थक कुछ विधायकों का बयान आया है जिससे यह संकेत मिलता है कि हाल-फिलहाल यह विधायक जोगी के साथ जाने से कतरा रहें हैं. गुण्डरदेही के विधायक आरके राय का मीडिया में बयान आया है कि जोगी जी उनके नेता हैं जिनके पार्टी छोड़ने का उन्हें दुख है लेकिन वे फिलहाल जोगी के साथ नहीं जा रहें हैं. उन्होंने कहा है कि पार्टी ने उन्हें टिकट देकर विधायक बनने का मौका दिया है इसलिये पार्टी की ही सेवा करते रहेंगे. मस्तूरी के कांग्रेस विधायक दिलीप लहरिया तो खुलेआम स्वीकार करते हैं कु उन्हें जोगी जी ने ही विधायक बनाया लेकिन वे पार्टी छोड़ने के बारें में सोच ही नहीं सकते हैं.
इसी तरह से अकलतरा के विधायक चुन्नीलाल साहू ने कहा है कि जोगी जी ने पार्टी छोड़ने का फैसला जल्दबाजी में किया है. सीतापुर के विधायक अमरजीत भगत है कि वे संगठन के साथ ही रहेंगे, पार्टी ने उन्हें तीन बार विधायक बनने का मौका दिया है. तानाखार के विधायक रामदयाल उईके ने माना है कि जोगी जी उनके नेता हैं परन्तु वे विधायक पार्टी के हैं. इसलिये पार्टी छोड़ने का सवाल ही नहीं है.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी सांगठनिक दावपेंच के अलावा कानून द्वारा छोड़े गये चोर दरवाजें से अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं. उनके मुख्यमंत्रित्व काल में 2002 में तरुण चटर्जी के नेतृत्व में भाजपा के 12 विधायकों ने पार्टी छोड़कर छत्तीसगढ़ विकास पार्टी बना ली थी तथा बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गये थे.
इस बार स्थिति इतनी अनुकूल नहीं है. इसके अलावा अभी विधानसभा के ढाई साल बचे हुये हैं ऐसे में विधायकी छोड़कर अजीत जोगी के पार्टी में जाना आसान बात नहीं है. राजनीति में सत्ता या पद छोड़ना कोई नहीं चाहता है.
इस बात की पूरी संभावना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के ऐन पहले जोगी समर्थक विधायक उनके साथ हो सकते हैं तब तक अजीत जोगी को इंतजार करना पड़ेगा. बेशक, 2018 तक इन विधायकों को इस बात का आभास हो जाना चाहिये कि जोगी की नई पार्टी की टिकट पर वे विधानसभा चुनाव जीत सकते हैं अन्यथा उस समय भी वे पीछे हट सकते हैं.
इसीलिये तो कहा जा रहा है कि जोगी के लिये राह आसान नहीं है.