छत्तीसगढ़ में रोजगार विहीन विकास
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में दावे चाहे कुछ भी हों लेकिन यहां विकास रोजगारविहीन हो रहा है. छत्तीसगढ़ में जितने भी विकास हो रहे हैं उससे यहां के बेरोजगारों को कोई रोजगार नहीं मिल पा रहा है. जिसका मतलब है कि विकास का लाभ सही तरीके से नहीं मिल रहा है. इस कारण से छत्तीसगढ़ के सकल घरेलू उत्पादन में जो वृद्धि हो रही है वो महज कुछ मुठ्ठीभर लोगों के हाथों में ही सिमटकर रह गई है. भला जिसके पास नौकरी नहीं है, जिसकी खरीदने की क्षमता नहीं है उस तक सकल घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी का फायदा कैसे पहुंचाया जा सकता है. बाजारों और गोदामों में भरे सामान को खरीदने के लिये अंटी में पैसे की जरूरत पड़ती है. वैसे तो खान-पहनने और ओढ़ने के लिये भी पैसे लगते हैं. परन्तु पैसे पेड़ों पर नहीं लगते हैं नौकरी करके या कामधंधे के जरिये ही उन्हें हासिल किया जा सकता है.
सरकारी आंकड़ों के अऩुसार छत्तीसगढ़ में पंजीकृत शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 19 लाख 53 हजार 5 सौ 56 है. इस तरह से छत्तीसगढ़ की करीब 13 फीसदी आबादी के पास कमाई का कोई जरिया नहीं है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 के अनुसार छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आमदनी वित्तीय वर्ष 2015-16 के त्वरित अनुमानों के अनुसार 84 हजार 767 रूपए दर्ज की गई है. यह चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में बढ़कर 91 हजार 772 रूपए होना अनुमानित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.26 फीसदी अधिक होगी.
एक तरफ सरकार द्वारा राज्य में प्रति व्यक्ति औसत आय में वृद्धि होने का दावा किया जा रहा है दूसरी तरफ आबादी के 13 फीसदी के हिस्से में नौकरी तक नहीं है. जाहिर है कि विकास के जो दावे किये जा रहें हैं उस तक इनकी पहुंच नहीं है.
यहां तक कि वर्तमान में सरकार भी खुद रोजगार मुहैय्या कराने की हालत में नहीं है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2015 से लेकर 2016 तक कुल 6 लाख 13 हजार 3 सौ 22 बेरोजगारों ने अपने पंजीयन जिला रोजगार कार्यालयों एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्रों में कराया था. जिसमें से इस अवधि में कुल 397 को शासकीय विभागों में नौकरी दी गई.
छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों के बेरोजगारी के सरकारी आंकड़े चौंकाने वाले हैं. राज्य में सबसे ज्यादा शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दुर्ग में 2 लाख 69 हजार 7 सौ 65 है. गौरतलब है कि इसी दुर्ग से जुड़े भिलाई में देश का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना है. इस तरह के बड़े कारखानों के आसपास कई छोटे-छोटे कारखाने भी खुल जाते हैं जिनसे रोजगार मिलता है. यदि राज्य में दुर्ग में ही सबसे ज्यादा शिक्षित बेरोजगार हैं तो मानना पड़ेगा कि अब कारखाने भी बढ़ती आबादी के लिये रोजगार देने की हालत में नहीं हैं.
बेरोजगारों के मामले में छत्तीसगढ़ में तीसरा स्थान रायगढ़ का है. जहां बेरोजगारों की संख्या 1 लाख 60 हजार 1 सौ 06 है. इसी रायगढ़ में जिंदल का इस्पात का कारखाना है. इसके अलावा रायगढ़ के आसपास कई उद्योग खुल गये हैं. जाहिर है कि वहां भी शिक्षितों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.
छत्तीसगढ़ में बेरोजगारों के मामलों में चौथे नंबर पर जांजगीर-चांपा जिला है. यहां पर 1 लाख 16 हजार 054 बेरोजगार है. जांजगीर ही छत्तीसगढ़ का वह जिला है जहां पर सबसे ज्यादा निजी क्षेत्र के पॉवर प्लांट खुले हैं या खुलने वाले हैं और यहां कृषि को दिया जाने वाला पानी इन उद्योगों को दे दी गई है.