झीरम हत्याकांड की धीमी जांच
रायपुर | समाचार डेस्क: झीरम हत्याकांड के जांच आयोग की रिपोर्ट तीन साल बाद भी नहीं आई है. इस मामलें में अब तक सुनवाई जारी है. गौरतलब है कि 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित 31 लोगों को नक्सलियों ने भून दिया था. इस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 28 मई 2013 को एक न्यायिक आयोग का गठन किया था. जिसके अध्यक्ष छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायधीश प्रशांत मिश्रा को बनाया गया. इस न्यायिक आयोग को तीन माह में अपनी रिपोर्ट देनी थी परन्तु तीन साल गुजर जाने के बाद भी उस पर सुनवाई जारी है.
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने झीरम जांच आयोग का कार्यकाल 27 अगस्त 2016 तक बढ़ाया है. एनआईए ने इस मामलें में अपनी जांच पूरी करके अदालत में चालान पेश कर दिया है. इस बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने झीरम घाटी हत्याकांड की जांच सीबीआई से करवाने की घोषणा की है.
इसी तरह से दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार क्षेत्र में हुई नक्सली व पुलिस मुठभेड़ और आगजनी की घटना की न्यायिक जांच के लिये छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायधीश टीपी शर्मा की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच आयोग का गठन 12 मई 2011 को किया गया था. इस आयोग का कार्यकाल 12वीं बार छः माह के लिये बढ़ा दिया गया है. इस आयोग को तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी थी. आयोग का कार्यकाल 10 नवंबर 2016 तक बढ़ाया गया है.
बासागुड़ा-साकरेगुड़ा नक्सली-पुलिस मुठभेड़ की जांच के लिये न्यायमूर्ति व्हीके अग्रवाल की अध्यक्षता में 11 जुलाई 2012 को न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था. इसका कार्यकाल 11 जुलाई 2016 तक बढ़ाया गया है.
इसी तरह से एड़समेटा घटना की जांच भी न्यायमूर्ति व्हीके अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित न्यायिक जांच आयोग कर रहा है. जिसका कार्यकाल 18 अगस्त 2016 तक है.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के गठन के बाद साल बड़ी घटनाओं के लिये न्यायिक जांच आयोग का गठन हुआ है. जिसमें से सरगुजा की मीना खलको की पुलिस मुठभेड़ में मौत, बिलासपुर नसबंदी कांड तथा बाल्को चिमनी हादसे की जांच रिपोर्ट आ चुकी है.
मीना खलको मुठभेड़ की जांच सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिता झा ने की तथा 27 फरवरी 2015 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी.
इसी तरह से बिलासपुर नसबंदी कांड की जांच भी अनिता झा ने की तथा 12 अगस्त 2015 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
बाल्को चिमनी हादसे की न्यायिक जांच रिपोर्ट छह साल पहले शासन को सौंपी जा चुकी है. इस तरह से छत्तीसगढ़ में गठित सात जांच आयोग में से तीन की रिपोर्ट आ चुकी है. सबसे बेसब्री से झीरम घाटी हत्याकांड की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.