जिंदल का खदान कोल इंडिया को
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के तीन कोयला खदानों को कोल इंडिया को दे दिया है. पहले जिंदल पॉवर एंड स्टील ने नीलामी में बोली लगाकर इसे प्राप्त किया था. जिंदल पर आरोप है कि यह बोलिया फिक्स थी. इस कारण से केन्द्र सरकार ने इन कोयला खदानों की बोलियों को रद्द करते हुये इन्हें कोल इंडिया को आवंटित कर दिया है. कोयला ब्लॉक की नीलामी में कुछ रद्द की गई अधिकतम बोली वाले तीन खदानों का आवंटन कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया लिमिटेड को कर दिया. सोमवार को ही अपनी अधिकतम बोली रद्द किए जाने के विरुद्ध जिंदल स्टील एंड पॉवर ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका भी दाखिल की. कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गारे पल्मा 4/1, 4/2 और 4/3 का आवंटन कोल इंडिया को कर दिया गया है. दो चरणों की नीलामी में इन ब्लॉकों के लिए जेएसपीएल और बाल्को ने अधिकतम बोली लगाई थी.
मंत्रालय ने गत सप्ताह बताया था कि 33 नीलाम हुए ब्लॉकों में से नौ की नीलामी की जांच कर कीमतों को प्रभावित करने की सांठगांठ का पता लगाया जा रहा है.
इन ब्लॉकों के लिए अधिकतम बोली दूसरे ब्लॉकों की तुलना में काफी कम थी.
जेएसपीएल ने अदालत से कहा कि मंत्रालय ने 20 मार्च को आवंटन रद्द कर दिया. उसे डर है कि गारे पल्मा 4/2, 4/3 और तारा ब्लॉक किसी और को दिए जा सकते हैं.
कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने ट्विट कर कहा, “सरकार जांच करने के बाद बोली पर फैसला ले रही है. पांच ब्लॉकों की बोली स्वीकार कर ली गई है. गारे पल्मा 4/1, 4/2 और 4/3 तथा तारा कोयला ब्लॉक की बोली स्वीकार नहीं की गई.”
सरकार के फैसले पर उद्योग संघों ने चिंता जताई है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव ए. दीदार सिंह ने कहा, “आवंटन की प्रक्रिया को उलटने से कारोबारी संवेदना पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.”
एसोचैम ने भी शुक्रवार को सरकार के फैसले को अनुचित कहा था.