जशपुर की बाला दिल्ली में बरामद
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के जशपुर की 10वर्षीया लड़की को दिल्ली में 35हजार रुपयों में बेचा गया. इसका खुलासा तब हुआ जब छत्तीसगढ़ पुलिस तथा गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी के सदस्यों ने संयुक्त रूप से उत्तर दिल्ली के मॉडल टाउन से 18 वर्षीया लड़की को बरामद किया. पीड़िता से घर का काम कराया जा रहा था तथा उसे वर्ष 2006 में जशपुर के मेले से अपहृत कर दिल्ली लाया गया था. छत्तीसगढ़ पुलिस ने जशपुर के पूनम तथा उसके पति संजय को बच्ची को वर्ष 2006 में अपहृत कर दिल्ली में लाकर बेचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है.
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि उसके साथ मारपीट की जाती थी. छत्तीसगढ़ पुलिस ने बुधवार को जशपुर से पूनम तथा उसके पति संजय को गिरफ्तार किया. इससे कुछ ही दिन पहले छत्तीसगढ़ पुलिस ने दिल्ली के शकुरपुरा तथा मोती नगर से 10 बच्चों को बरामद किया था. उन बच्चों को 25हजार रुपये की दर से बेचा गया था.
गौरतलब है कि सर्वोच्य न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव तथा डीजीपी को 13 नवंबर को आदेश दिया था कि छत्तीसगढ़ से अपहृत बच्चों को 11 दिसंबर तक खोज निकाला जाये. उल्लेखनीय है कि गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओं आंदोलन’ ने सर्वोच्य न्यायालय में एक जनहित याचिका के माध्यम से इसकी मांग की थी कि देशभर से तस्करी के माध्यम से लाये गये बच्चों को छुड़ाया जाये.
एक अनुमान के अनुसार छत्तीसगढ़ से वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2013 तक करबी 65 हजार महिलाओं तथा बच्चों को तस्करी करके राज्य से बाहर ले जाया गया है. जिनमें से अभी तक करीब 40 फीसदी का पता नहीं चल सका है.
करीब दो माह पहले मुख्य लोकायुक्त एसएन श्रीवास्तव ने रायपुर में बताया था कि इन बच्चों की तस्करी के काम को जेल में बैठे अपराधी करवाते हैं तथा बच्चों से भीख मंगवाने के अलावा घर में काम करवाया जाता है.
वहीं, छत्तीसगढ़ पुलिस का दावा है कि सर्वोच्य न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद करीब 60 फीसदी बच्चों को खोज निकाला गया है. पुलिस के अनुसार 11 दिसंबर तक उन्हें 1,327 गुमशुदा बच्चों को खोज निकालना है जिसमें से 764 बच्चों को खोज निकाला गया है.
खबरों के अनुसार छत्तीसगढ़ पुलिस ने जशपुर, बिलासपुर, धमतरी, रायपुर, जांजगीर-चांपा तथा अन्य जिलों में बच्चों को खोजने के लिये 35 टीमों का गठन किया है.