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छत्तीसगढ़ निवेश में फिसड्डी

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ निवेश के मामले में फिसड्डी साबित हुआ है. राज्य के मंत्री और अधिकारी के नाम पर चाहे जितने विदेश दौरे और करोड़ों रुपये के आयोजन कर लें लेकिन निवेशकों ने छत्तीसगढ़ को खारिज कर दिया है. यह दावा भारत सरकार के ही वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का है.

औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल भर में भारत में 3.95 लाख करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव आये लेकिन इनमें एक फीसदी निवेश भी छत्तीसगढ़ में नहीं हुआ. आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ से बेहतर स्थिति तो झारखंड की रही, जहां 3.09 प्रतिशत निवेश हुआ.

निवेश के मामले में कांग्रेस की सरकार ने सबको पीछे छोड़ दिया और निवेशकों ने भी सबसे अधिक कर्नाटक पर भरोसा जताया. पूरे देश में हुये निवेश का 38.48 प्रतिशत अकेले कर्नाटक में हुआ. इसके बाद दूसरा नंबर गुजरात का है, जहां कर्नाटक के मुकाबले लगभग आधा निवेश यानी लगभग 20 प्रतिशत निवेश हुआ.

छत्तीसगढ़ की बात करें तो तमाम तरह के विज्ञापन और तरह-तरह के आयोजनों के बाद भी छत्तीसगढ़ में महज 0.63 प्रतिशत लोगों ने निवेश में दिलचस्पी दिखाई. छत्तीसगढ़ की स्थिति का अनुमान महज इस बात से लगाया जा सकता है कि पड़ोसी राज्य झारखंड में जहां 3.29 प्रतिशत निवेश प्रस्ताव आये, वहीं मध्यप्रदेश में भी शिवराज सिंह की सरकार पर निवेशकों ने भरोसा जताया और वहां भी 1.81 प्रतिशत के निवेश प्रस्ताव आये.

इसके उलट छत्तीसगढ़ सरकार लंबे समय से करोड़ों के विनिवेश का दावा करती रही है. ऐसे कई एमओयू को प्रचारित करती रही है, जिसके धरातल पर उतरते ही छत्तीसगढ़ के सपने सच होने की उम्मीद लोग लगाये बैठे रहे. अपने कार्यकाल में उद्योग मंत्री राजेश मूणत ने कई-कई बार इस तरह के बड़े आयोजन किये, जिनमें दुनिया भर के उद्योगपतियों को बुलाया गया, उनकी खातिरदारी की गई. सरकार ने ऐसी कई घोषणायें की, जिससे उद्योग जगत को राहत मिले. लेकिन इसके बाद भी छत्तीसगढ़ विनिवेश के लिये पसंद की जगह नहीं बन सका.

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