छत्तीसगढ़: अमृत दूध में कीड़े मिले
अंबिकापुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में कुपोषण दूर करने के लिये बांटे जाने वाले दूध में कीड़े मिले हैं. छत्तीसगढ़ के सरगुजा के मैनपाट में बच्चों को बांटे जाने वाले अमृत दूध के पैकेट के ऊपर कीड़े लगे हुये पाये गये. उसके बाद उन दूधों का वितरण रोक दिया गया है. परीक्षण के बाद ही बच्चों को दूध का वितरण किया जावेगा.
गौरतलब है कि इससे पहले 31 मई को बीजापुर के केतुलनार में इसी अमृत दूध के सेवन से आठ बच्चे बीमार पड़ गये थे जिनमें से दो की मृत्यु हो गई थी. जांजगीर-चांपा में भी अमृत दूध के सेवन से पांच बच्चों की तबियत बिगड़ गई थी जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था.
छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा है कि अनुबंध के अनुसार दूध का वितरण ट्रेटा पैक में होना चाहिये परन्तु देवभोग का अमृत दूध पॉली पैक में बांटा जा रहा है. सिंहदेव ने मामलें की जांचकर दोषियों को सजा देनी की मांग की है.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिये आंगनबाड़ी केन्द्रों तथा स्कूलों के माध्यम से पौष्टिक दूध बांटने के लिये योजना की शुरुआत की है. जिसके तहत मैनपाट के 117 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिये 289 कार्टून में भरकर अमृत दूध का पैकेट पहुंचाया गया.
मिली जानकारी के अनुसार सात जुलाई को अमृत दूध के पैकेट मैनपाट पहुंचे जिन्हें आठ जुलाई को बांटा जाना था. जब पहले ही कार्टून को खुलवाया गया तो उसमें दूध के पैकेट के ऊपर कीड़े पाये गये. दरअसल, एक पैकेट फट गया था तथा सात पैकेट लीक कर रहे थे. दूध मीठा होने के कारण उसमें कीड़े लग गये थे. तीन अन्य कार्टून को फटा पाया गया.
मैनपाट के महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारी हेमंती प्रजापति ने कहा है कि एक कार्टून में दूध के एक पैकेट में लिकेज था. पैकेट से दूध बहने के कारण संभवतः उसमें कीड़े लग गए थे. जिन पैकेटों के ऊपर कीड़े नजर आए थे, उन सभी को डिस्पोज करा दिया गया है. वितरण पर फिलहाल रोक लगा दी गई है. देवभोग को वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि कुपोषण दूर करने के लिये छत्तीसगढ़ में मई माह से मुख्यमंत्री अमृत योजना शुरु की गई है. जिसके तहत राज्य के 50 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रो में तीन से छः साल के बच्चों को सप्ताह में एक दिन मीठा दूध दिया जा रहा है. इसके लिये धन राज्य सरकार की ओर से दिया जा रहा है. आंगनबाड़ी केन्द्रो में पहले से ही कुपोषण दूर करने के लिये बच्चों को गर्म नाश्ता दिया जा रहा है.
इस साल लोक सुराज अभियान के समय मुख्यमंत्री अमृत योजना का शुभारंभ किया गया.
हैरत की बात है कि कुपोषण दूर करने के लिये चलाई जा रही मुख्यमंत्री अमृत योजना के लिये स्थानीय दूध का इस्तेमाल करने के स्थान पर देवभोग के दूध को वरीयता दी गई. जो किसी दूसरे स्थान पर पैक करके लाई जाती है. जबकि यदि स्थानीय दूध को ही गर्म करके तथा चीनी मिलाकर दिया जाता तो शायद बीजापुर में दो बच्चों की मौत न होती और नही उसमें कीड़े लगते. मिड-डे मिल को जब स्थानीय तौर पर ही बनाया जाता है तब पैक्ड दूध देने की कौन सी जरूरत आन पड़ी थी?
गौरतलब है कि देवभोग दूध पैक करने का केन्द्र छत्तीसगढ़ के दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, कोरिया, अंबिकापुर, जशपुर, कवर्धा तथा जगदलपुर में है.