‘मेक इन छत्तीसगढ़’ से रोजगार: रमन सिंह
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की नई उद्योग नीति का आधार ‘मेक इन छत्तीसगढ़’ होगा. जिसके माध्यम से छत्तीसगढ़ में रोजगार के अवसर पैदा किये जायेंगे. मंगलवार को छत्तीसगढ़ के चौथे उद्योग नीति पर मंथन किया गया. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने विचार-मंथन के दौरान प्रदेश के औद्योगिक विकास को रोजगार से जोड़ने, उद्योगों में पर्यावरण नियमों तथा सुरक्षा नियमों के पालन और श्रमिक हितों के संरक्षण की जरूरत पर विशेष रूप से बल दिया. उन्होंने कहा कि उद्योगों में स्थानीय बेरोजगारों को नौकरी तथा रोजगार के अधिक से अधिक अवसर दिलाना और उन्हें स्वयं का उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित करना हमारी नई उद्योग नीति की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार की नवीन उद्योग नीति के बारे में इस महीने की नौ तारीख को रायपुर में आयोजित कार्यशाला में उद्योग-व्यापार जगत के लोगों से भी सुझाव लिए गए थे. उन सुझावों पर विचार करने के बाद आगामी उद्योग नीति का प्रारूप तैयार किया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार की पहली उद्योग नीति एक नवम्बर 2001 को लागू की गई थी. इसके बाद एक नवम्बर 2004 से 31 अक्टूबर 2009 तक दूसरी और एक नवम्बर 2009 से 31 अक्टूबर 2014 तक के लिए तीसरी उद्योग नीति लागू की गई. आगामी उद्योग नीति को राज्य स्थापना दिवस पर एक नवम्बर 2014 से पांच वर्ष के लिए लागू करने की तैयारी की जा रही है.
मुख्यमंत्री ने मंगलवार की बैठक में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोर सेक्टर के अंतर्गत स्टील, बिजली, सीमेंट और एल्युमिनियम उद्योग में काफी पूंजी निवेश आमंत्रित किया है. राज्य गठन के बाद इस सेक्टर में अब तक 121 एम.ओ.यू. हुए. इनमें से 60 एम.ओ.यू. में परियोजना प्रारंभ अथवा विस्तारित हो चुकी है. शेष 60 एम.ओ.यू. के तहत परियोजनाएं विभिन्न चरणों में प्रगति पर है. इन परियोजनाओं में 44 हजार करोड़ रूपए से अधिक पूंजी निवेश हो चुका है. विगत उद्योग नीति 2009-2014 के परिणाम निश्चित रूप से काफी उत्साहवर्धक हैं.
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि कोर सेक्टर में राज्य प्रगति के नए सोपान बना चुका है. अब हमारी प्राथमिकता नॉन कोर सेक्टर के तहत कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, वनोपज, आटोमोटिव, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्युटिकल, हेल्थ केयर, पर्यटन, कौशल विकास आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की है. इसी उद्देश्य से राज्योत्सव 2012 के दौरान प्रदेश में पहली बार नॉन कोर सेक्टर के उद्योगों के लिए ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट का आयोजन किया गया. इसमें चार प्रमुख उद्योग नीतियां भी जारी की गई. इनमें कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2012 आटोमोटिव उद्योग नीति 2012, सूचना प्रौद्योगिकी/ सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं में निवेश की नीति 2012 और सोलर पॉलिसी 2012-2017 शामिल हैं.
मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार की नई उद्योग नीति में राज्य में पूंजी निवेश को अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धी औ सुगम बनाकर अधिक से अधिक आर्थिक प्रोत्साहन देने की भी आवश्यकता प्रकट की. उन्होंने कहा कि इससे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आमदनी में वृद्धि होगी. उन्होंने औद्योगिक विकास की मुख्य धारा में समाज के कमजोर वर्गों को शामिल करने पर भी बल दिया.
गौरतलब है कि नवीन उद्योग नीति में औद्योगिक अधोसंरचना के निर्माण और संधारण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि खरीदने की पारदर्शी प्रणाली अपनाने, वृहद, मेगा और अल्ट्रामेगा औद्योगिक परियोजनाओं की स्थापना के लिए युक्ति-युक्त ढंग से भूमि बैंक की स्थापना, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को विशेष आर्थिक पैकेज तथा बीमार और बंद उद्योगों को फिर से चालू करने की योजना बनाने पर भी नई उद्योग नीति के प्रारूप में बल दिया गया है.
इसमें यह भी प्रस्ताव किया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित रेल कॉरिडोर परियोजना सहित दल्लीराजहर-रावघाट-जगदलपुर रेल लाइन परियोजना के कार्य क्षेत्र में लघु औद्योगिक प्रक्षेत्रों की स्थापना के लिए भी जमीन चिन्हांकित की जाए. उन्होंने कहा कि पूंजी निवेशकों को उद्योग लगाने के लिए नियमानुसार भूमि, पानी, बिजली आदि हर प्रकार की सुविधा दी जाएगी.