कल्लूरी को हटाया गया है- गृहमंत्री
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ने कहा आईजी कल्लूरी को हटाया गया है. छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा- बस्तर का वातावरण खराब हो रहा था, इसीलिये कल्लूरी का ट्रांसफर हुआ. पहली बार सरकार के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने खुद यह माना है कि कल्लूरी के हटने का कारण मानवाधिकार का उलंघन भी है. हालांकि गृहमंत्री ने कहा कि जरुरत पड़ी तो कल्लूरी को फिर बस्तर भेजा जा सकता है.
अब तक बस्तर के आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी दावा करते रहें हैं कि उनके हर काम के पीछे सरकार का सपोर्ट रहा है. परन्तु रविवार को मीडिया में छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा का इसके उलट बयान आया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि कल्लूरी ने स्वास्थ्यगत कारणों से छुट्टी मांगी थी. लेकिन बस्तर में उनके कार्यकाल के दौरान आईजी पर कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं. इसलिये भी उन्हें हटाया गया है.
इसके अलावा गृहमंत्री ने यह भी कहा कि बस्तर का वातावरण खराब हो रहा था. मानवाधिकार उल्लंघन की बात सामने आ रही थी. मानवाधिकार की रक्षा हो इसलिये भी सरकार ने आईजी कल्लूरी को हटाने का फैसला किया है. बता दें कि अबतक सरकार बस्तर के आईजी रहे कल्लूरी के स्वास्थ्य को कारण बता रही थी पर पहली बार गृहमंत्री ने माना है कि कल्लूरी को हटाने के पीछे मानवाधिकार का उल्लंघन करना रहा है.
गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा ने कहा- “आईजी पर वहां पर कई तरह के आरोप प्रत्यारोप भी लगते रहे. मानवाधिकार का हनन हो रहा है, इस दिशा में भी कई बातें आई थीं. तो हम लोगों ने कहा कि मानवाधिकार का जो भी है, उसका पूरा सम्मान किया जायेगा. हमने भी चिंता जताई कि अगर वातावरण कहीं अच्छा नहीं है तो उनको चेंज करके किसी को भी पदस्थ किया जा सकता है.”
हालांकि गृहमंत्री बयान के बाद राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कल्लूरी का बचाव करते हुये उनकी तारीफ़ की और कहा कि बस्तर के आईजी पुलिस कल्लुरी को स्वास्थ्यगत कारणों से रायपुर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया गया है.
उधर, बस्तर के आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी ने कहा- मेरे हर काम के पीछे सरकार का सपोर्ट! उन्होंने यह भी कहा कि सलवा जुडूम की तरह अग्नि भी नक्सलियों के खिलाफ जनजागरण अभियान है. कल्लूरी ने यह भी कहा- अग्नि वालों को नक्सलियों की ओर से जान से मारने की धमकी मिली है.
गौरतलब रहे कि बस्तर के आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी को इसी महीने 7 फरवरी को रायपुर पुलिस मुख्यालय अटैच किया गया है. कल्लूरी दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर नंदिनी सुन्दर पर ह्त्या का मामला दर्ज करने के बाद विवादों में आये गये थे. देशभर में इसका विरोध किया गया. इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया पर हमले के बाद कल्लूरी पर गंभीर आरोप लगे थे की उनकी शह पर बेला पर कुछ लोगों ने हमला किया है. इतना ही नहीं कल्लूरी ने सुप्रीम कोर्ट की वकील को व्हाट्सअप पर ‘एफ यू’ तक लिख दिया था.
इसके अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का नोटिस मिलने के बाद जिसमें कल्लूरी को सामने पेश होना था वे पेश नहीं हुये. इसलिये पर भी सरकार को आयोग ने फटकारा था. आखिरकार सरकार ने मान लिया की कल्लूरी के कारण बस्तर का वातावरण खराब हो रहा था.
नंदिनी सुंदर प्रकरण-
नवंबर 2016 में छत्तीसगढ़ के बस्तर के तोंगपाल थाने में नंदिनी सुन्दर, अर्चना प्रसाद, संजय पराते, विनीत तिवारी, मंजू कवासी और मंगल राम कर्मा के खिलाफ 302, 120B, 147, 148, 149 ,452 तथा 25, 27 आर्म्स एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया. नंदिनी सुन्दर दिल्ली विश्वविद्यालय की तथा अर्चना प्रसाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली की प्रोफेसर हैं. संजय पराते छत्तीसगढ़ माकपा के राज्य सचिव हैं. विनीत तिवारी भी दिल्ली के ही रहने वाले हैं. मंजू कवासी गुफड़ी के सरपंच तथा मंगल राम स्थानीय ग्रामीण हैं.
उल्लेखनीय है कि नंदिनी सुंदर की याचिका पर ही कथित रूप से माओवादियों के ख़िलाफ़ सरकार के संरक्षण में चलने वाले हथियारबंद आंदोलन सलवा जुड़ूम को सुप्रीम कोर्ट ने बंद करने का निर्देश दिया था. हाल ही में सीबीआई ने नंदिनी सुंदर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अपनी एक रिपोर्ट पेश की थी, जिससे मुताबिक साल 2011 में ताड़मेटला गांव में विशेष पुलिस अधिकारियों ने 252 आदिवासियों के घर जला दिये थे. जानकारों की मानें तो जब वे खुद मौके पर नहीं थे तो उन पर हत्या का मुकदमा कैसे दायर किया जा सकता है.
ताड़मेटला अग्निकांड पर सीबीआई-
अक्टूबर 2016 में छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासियों के घरों में आग लगा देने की घटना के करीब पांच साल बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी. जिसमें कहा गया था कि इस घटना को सलवा जुड़ूम से जुड़े लोगों ने ही अंजाम दिया था. उल्लेखनीय है कि सुकमा में यह आगजनी 11 से 16 मार्च के बीच हुई थी जब फोर्स गश्त पर थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि दंतेवाड़ा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एसआरपी कल्लूरी के आदेश पर इन गांवों में पुलिस गश्ती दल भेजा गया था.
बस्तर पुतला दहन-
अक्टूबर 2016 के अंतिम सप्ताह में जगदलपुर के कोतवाली थाने के सामने सोनी सोरी, नंदिनी सुंदर, बेला भाटिया, मनीष कुंजाम, हिमांशु कुमार तथा मालिनी का पुतला जलाया गया था. पुतला दहने के पहले ‘समस्त सहायक आरक्षक’ की ओर से टाइप किया हुआ बयान भी वाट्सअप पर जारी किया गया था. इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर में पुलिस कर्मियों द्वारा पुतला जलाये जाने के शिकायतों को संज्ञान में लिया. राज्य शासन ने बस्तर संभाग के कमिश्नर को इन शिकायतों की जांच करने के आदेश दिये.
बेला भाटिया को बस्तर छोड़ने की धमकी-
जनवरी 2017 के अंतिम सप्ताह में छत्तीसगढ़ के बस्तर में बेला भाटिया को कथित तौर पर 24 घंटे के अंदर बस्तर छोड़ने की धमकी दी गई थी. बस्तर के पंडरीपानी में रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया के घर करीब 30 की संख्या में अज्ञात लोगों ने धावा बोल दिया था. बताया जा रहा है कि बेला भाटिया को 24 घंटे के अंदर बस्तर छोड़ देने की धमकी दी गई थी अन्यथा उनका घर जला दिया जायेगा.
इसके बाद छत्तीसगढ़ के गृह सचिव व्हीव्हीआर सुब्रमण्यम तथा डीजीपी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी बुधवार की दोपहर बेला भाटिया से मिलने उसके घऱ पण्डरीपानी पहुंचे. उन्होंने बेला भाटिया को उनकी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त किया तथा पुलिस सुरक्षा का निरीक्षण किया.
बस्तर में कानून के राज की अपील-
31 जनवरी 2017 को देश के जाने-माने लोगों ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में कानून के राज की मांग की थी. देश के 125 प्रख्यात पत्रकार, संपादक, अर्थशास्त्री, फिल्मकार, अभिनेत्री तथा सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ताओं ने एक पत्र के माध्यम से मांग की थी कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में मानवाधिकार के हनन के शिकार व्यक्ति तक कोई भी पहुंच सके तथा मानवाधिकार का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही हो.
संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया था कि बीते कुछ महीनों में जगदलपुर लीगल ऐड नाम के समूह को बस्तर छोड़ना पड़ा है, स्क्रॉल की पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम तथा बीबीसी के आलोक पुतुल को बस्तर छोड़ने के लिये मजबूर कर दिया गया था. इसके अलावा भी कई स्थानीय पत्रकार लिंगराम कोडोपी, संयोष यादव तथा समरू नाग को सताया जा रहा है. आम आदमी पार्टी के सोनी सोरी तथा सीपीआई के मनीष कुंजाम को प्रायः धमकाया जाता है.