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नसबंदी कांड का जिम्मेदार डॉक्टर नहीं

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने माना है कि नसबंदी कांड का जिम्मेदार डॉक्टर नहीं है.हाईकोर्ट ने ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक डॉ. आरके गुप्ता को नसबंदी से हुई मौतों का जिम्मेदार नहीं माना है. हाईकोर्ट ने कहा है कि जांच या पोस्टमार्टम में संक्रमण को मौत की वजह नहीं बताया गया है. अमानक दवा के लिये डॉक्टर को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं. हाईकोर्ट ने चार्जशीट से डॉ. आरके गुप्ता का नाम हटाने का निर्देश दिया है.

चकरभाटा पुलिस ने डॉ. आरके गुप्ता के खिलाफ धारा 302 के 2 के तहत अपराध दर्जकर जिला न्यायालय में चालान पेश किया था. जिसे डॉ. आरके गुप्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. चकरभाटा पुलिस ने मामले में दवा की सप्लाई करने वालों को भी आरोपी बनाया है.

गौरतलब है कि 8 नवंबर 2014 को नेमीचंद जैन अस्पताल में डॉ. आरके गुप्ता ने 83 महिलाओं का नसबंदी का ऑपरेशऩ किया था. दो दिन बाद 13 महिलाओं की मौत हो गई थी तथा 68 महिलायें गंभईर रूप से बीमार पड़ गई थी. मरीजों को ऑपरेशन के बाद आईब्रुफेन तथा सिप्रोसीन नाम की दवा दी गई थी.

यह मामला मीडिया में इतना उछला था कि विदेशी टीवी चैनल तक इसे कव्हर करने के लिये बिलासपुर पहुंच गये थे.

गौरतलब है कि 26 अगस्त 2015 को छत्तीसगढ़ कैबिनेट की बैठक में भी छत्तीसगढ़ सरकार ने नसबंदी कांड के लिये अमानक दवा को जिम्मेदार माना था. कैबिनेट की बैठक के बाद पंचायत, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अजय चन्द्राकर ने मीडिया प्रतिनिधियों को इन फैसलों की जानकारी दी थी. छत्तीसगढ़ सरकार नसबंदी कांड में उपयोग में लाये गये दवाओं सिप्रोसिन-500 और आईब्रुफेन-400 के निर्माताओं के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगी.

मंत्री अजय चन्द्राकर ने बताया था कि बिलासपुर जिले के नसबंदी प्रकरणों की जांच के लिए गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग की रिपोर्ट की अनुशंसाओं का पालन करने और इन अनुशंसाओं के तहत दोषी अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कड़ी कार्रवाई करने, अमानक और विषाक्त औषधियों की निर्माता एवं विक्रेता कम्पनियों के खिलाफ विधि के अनुसार अभियोजन की कार्रवाई करने का भी निर्णय लिया गया है.

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