छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामदास टंडन का निधन
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन को मंगलवार को दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया. श्री टंडन का सुबह साढ़े दस बजे ही अंबेडकर अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया था, लेकिन उनके परिजनों के आने का इंतजार किया गया. दोपहर ढाई बजे इसकी अधिकृत घोषणा की गई. उनका अंतिम संस्कार बुधवार को चंडीगढ़ में किया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार 91 वर्षीय राज्यपाल श्री टंडन को मंगलवार को सुबह नाश्ते के वक्त दिल का दौरा पड़ा. इसके बाद उन्हें अंबेडकर अस्पताल में ले जाया गया. उन्होंने सुबह साढ़े दस बजे अंतिम सांस ली. उनके पुत्र चंडीगढ़ में थे, उन्हें तत्काल इसकी सूचना दी गई. वे दोपहर के विमान से रायपुर पहुंचे.
राज्यपाल के निधन की वजह से बुधवार को सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ध्वजारोहण के बाद परेड की सलामी लेंगे. उनके निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है.
बलरामजी दास टंडन का जन्म एक नवम्बर 1927 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से स्नातक उपाधि प्राप्त की. इसके बाद वह लगातार पंजाब में सामाजिक-सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे और वर्ष 1953 से 1997 के बीच छह अलग-अलग अवधि में पंजाब विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. श्री टंडन वर्ष 1979 से 1980 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे. वर्ष 1991 में लोकसभा चुनाव के दौरान जब पंजाब में आतंकवाद अपनी चरम स्थिति में था, उन्होंने अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में भाग लेने का बीड़ा उठाया, जिसे उस समय सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र माना जाता था. इस चुनाव अभियान के दौरान आतंकवादियों द्वारा उन पर कई बार हमले किए गए.
बलरामजी दास टंडन ने वर्ष 1947 में देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. उन्होंने वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान अमृतसर जिले की सीमा पर जनसामान्य में आत्मबल बनाये रखने तथा उत्साह का संचार करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. वर्ष 1980 से 1995 के दौरान उन्होंने आतंकवाद का सामना करने तथा इससे लड़ने के लिए पंजाब के जनसामान्य का मनोबल बढ़ाया. उन्होंने आतंकवाद से प्रभावित परिवारों की मदद करने के उद्देश्य से एक कमेटी का गठन किया. श्री टण्डन स्वयं इस फोरम के चेयरमेन थे.
उन्होंने ‘कॉम्पिटेंट फाउंडेशन’ के चेयरमेन के पद पर कार्य करते हुए उन्होंने रक्तदान शिविर, निःशुल्क दवाई वितरण, निःशुल्क ऑपरेशन जैसे जनहितकारी कार्यों के माध्यम से गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद की. श्री बलरामजी दास टंडन के सुपुत्र श्री संजय टण्डन ने उनके जीवन पर आधारित किताब ‘एक प्रेरक चरित्र‘ लिखी, जिसका विमोचन वर्ष 2009 में तत्कालीन पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी ने किया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल ने की थी.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बलरामजी दास टंडन के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है. उन्होंने आज यहां जारी शोक संदेश में कहा है कि स्वर्गीय श्री टंडन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में विगत लगभग चार वर्षों तक प्रदेश को अपनी मूल्यवान सेवाएं दी. रमन सिंह ने कहा- मुझे तो ऐसा लग रहा है कि हम सबने अपने राज्य के अभिभावक को हमेशा के लिए खो दिया है.
आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना के राज्यपाल तथा छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल ई.एस.एल. नरसिम्हन ने कहा है कि इस आकस्मिक दुःखद जानकारी मिलने पर उन्हें गहरा आघात लगा है. उन्होंने कहा है कि लोकतांत्रिक परंपराओं और मूल्यों को बढ़ाने के साथ-साथ विकास के मार्ग को प्रशस्त्र करने में श्री टण्डन द्वारा दिया गया योगदान हमेशा याद किया जाएगा.
छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल के.एम. सेठ ने कहा है कि श्री टंडन ने अपने लंबे राजनैतिक, सामाजिक और विभिन्न सेवाभावी क्षेत्रों के माध्यम से देश, राज्य और समाज की जो अथक सेवा की है, वह हमेशा याद की जायेगी. श्री टंडन का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है.
छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त ने इसे देश और राज्य के लिए अपूरणीय क्षति बताया है. श्री दत्त ने अपनी शोक संदेश में कहा है कि श्री बलरामजी दास टंडन सौम्य, शांत और निश्छल व्यक्तित्व के धनी थे उन्होंने निस्वार्थ रूप से राजनैतिक, प्रशासनिक, सामाजिक और अन्य माध्यमों से देश और समाज की अथक सेवा की है.