छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रपति को छला

रायपुर | विशेष संवाददाता: झूठी वाहवाही लूटने के लिये छत्तीसगढ़ सरकार ने क्या राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी गुमराह किया है? छत्तीसगढ़ सरकार की बाल भविष्य सुरक्षा योजना को लेकर आरटीआई में मिले दस्तावेज बताते हैं कि झूठे आंकड़ों के सहारे छत्तीसगढ़ के अफसरों ने न केवल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को गुमराह किया, बल्कि इस कथित उपलब्धि को लेकर राष्ट्रपति भवन में विशेष आयोजन भी करा डाला और देश भर में वाहवाही भी लूटी. छत्तीसगढ़ सरकार ने दावा किया था कि बाल भविष्य सुरक्षा योजना के तहत 151 बच्चों ने एआईईईई उत्तीर्ण की है, जबकि आरटीआई में मिले दस्तावेज बताते हैं कि राज्य सरकार का यह दावा पूरी तरह से गलत है.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने 21 जून 2012 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल को अपने एक पत्र द्वारा यह सूचित किया था कि छत्तीसगढ़ के 222 छात्र विभिन्न इंजीनियरिंग और आईआईटी व जेईई परीक्षाओं में बैठे और उनमें से दो छात्रों ने आईआईटी और 151 छात्रों ने एआईईईई उत्तीर्ण की.

2 जुलाई 2012 को मुख्यमंत्री रमन सिंह के नेतृत्व में 151 आदिवासी छात्रों को राष्ट्रपति भवन ले जाया गया, जहां इन बच्चों से राष्ट्रपति ने मुलाकात की और उनकी सराहना की. इसके लिये बजाप्ता एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसे राष्ट्रपति समेत रमन सिंह ने भी संबोधित किया.इस कार्यक्रम में आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास मंत्री केदार कश्यप, आवास और पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत तथा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग के संसदीय सचिव महेश गागड़ा, प्रमुख सचिव आर.पी. मंडल, सचिव मनोज पिंगुआ और मुख्यमंत्री के ओ.एस.डी. विक्रम सिसोदिया भी शामिल हुये.

मनमोहन से मुलाकात
3 जुलाई को मुख्यमंत्री रमन सिंह के नेतृत्व में इन बच्चों को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलवाया गया.प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के नक्सल हिंसाग्रस्त जिलों के बच्चों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) की संयुक्त प्रवेश परीक्षा और अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (ए.आई.ई.ई.ई.) में मिली उत्साहजनक सफलता से यह साबित हो गया है कि इन बच्चों में काफी प्रतिभा है और वे किसी भी कठिन से कठिन परिस्थिति में भी हिम्मत के साथ आगे बढ़ने का हौसला रखते हैं.

लेकिन सूचना का अधिकार के तहत निकाली गई जानकारी बताती है कि छत्तीसगढ़ राज्य एक भी छात्र ने आईआईटी में प्रवेश की योग्यता हासिल नहीं की थी. केवल दो छात्रों को गैर आईआईटी संस्थानों में प्रवेश मिला. इसके अलावा 151 के बजाये केवल 3 छात्रों ने एआईईईई की उत्तीर्ण की. इन दो में से भी एक ने ही रिपोर्ट की और 2 छात्रों ने तो रिपोर्ट भी नहीं की.

आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार एआईईईई के 9 छात्रों की स्थिति ‘रिटेन’ बताई गई और 139 छात्रों की स्थिति ‘डेटा मिसमैच’ बताया गया है. सीधे शब्दों में ‘डेटा मिसमैच’ का मतलब ‘फेल’ होना होता है.

सरकार ने किया था दावा
राष्ट्रपति भवन में 2 जुलाई 2012 को आयोजित कार्यक्रम को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की विज्ञप्ति में विस्तार से इस कथित उपलब्धि की जानकारी दी गई. विज्ञप्ति के अनुसार छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के चार प्रमुख घटक हैं, जिनमें आस्था, निष्ठा, सहयोग और प्रयास शामिल हैं. प्रयास’ के अन्तर्गत प्रदेश की राजधानी रायपुर में 2010 में ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के बालकों के लिए आवासीय विद्यालय शुरू किया गया. 26 जुलाई 2010 को इस विद्यालय के लिए लगभग साढ़े चार करोड़ रूपए की लागत से निर्मित विशाल भवन का लोकार्पण कर योजना का शुभारंभ किया.

योजना के तहत इस विद्यालय में छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल की दसवीं की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उच्च अंक प्राप्त करने वाले बालकों का चयन कर उन्हें ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश दिया गया और बारहवीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ उन्हें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) तथा अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (एआईट्रिपल-ई) जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग दी गयी. प्रयास विद्यालय में राज्य के नौ जिलों के 251 बच्चों का चयन किया गया, जिनमें से कई बच्चे नक्सल हिंसा पीड़ित परिवारों से थे. इनमें अनुसूचित जनजाति के 202, अनुसूचित जाति के 45 और पिछड़े वर्गो के चार बच्चे शामिल थे. राज्य सरकार ने विशेष पहल करते हुए उनकी कोचिंग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभिरूचि प्रस्ताव आमंत्रित कर उनमें से पटना (बिहार) की संस्था यूरेका इंस्टीटयूट ऑफ साइंस (यूरेका सुपर-30) नामक संस्था का चयन किया.

इस संस्था के विशेषज्ञों द्वारा बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष रूप से मार्गदर्शन दिया गया. छात्रों के अधिगम स्तर (लर्निंग लेवल) के मापन के लिए आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग ने विभागीय तौर पर मूल्यांकन करवाया. लगातार दो वर्ष के अथक प्रयासों के बाद ‘प्रयास’ संस्था के सभी 251 बालक इस वर्ष छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल की बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जबकि इनमें से 170 बच्चों ने इस परीक्षा में प्रथम श्रेणी में कामयाबी हासिल की.

राज्य सरकार ने दावा किया कि दो वर्ष की छोटी सी अवधि में ‘प्रयास’ संस्था को 2012 में एक और शानदार सफलता मिली, जब 10 जून 2012 को अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट आया, जिसमें ‘प्रयास’ के 151 बच्चों ने सफलता हासिल की. अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में ‘प्रयास’ के 222 बच्चे शामिल हुए थे. उनमें से एक साथ 151 बच्चों को मिली सफलता से संस्था का नाम पूरे देश में रौशन हो गया.

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 15 जून को जहां ‘प्रयास’ बालक आवासीय विद्यालय के परिसर में इस योजना के तहत बालिकाओं के लिए चार करोड़ 81 लाख रूपए की लागत से निर्मित भवन का लोकार्पण किया, वहीं उन्होंने छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल की बारहवीं बोर्ड परीक्षा तथा आई.आई.टी. और अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में कामयाबी हासिल कर चुके मेधावी बालकों को अपने निवास पर आमंत्रित कर सम्मानित भी किया था.

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