छत्तीसगढ़ के फल मंडियों की जांच होगी
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में फल पकाने के तरीके की सघन जांच होगी. रायपुर की फल मंडी लालपुर में केमिकल द्वारा फल पकाये जाने की मामले की जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने ड्रग कंट्रोलर को निर्देश दिये हैं कि राजधानी रायपुर ही नहीं, हर संभाग और जिलें की फल मंडियों में लगातार जांच की जाये कि वहां फल केमिकल से तो नहीं पकाये जा रहे हैं. जरूरत पड़ने पर छापेमारी भी की जाये. सूत्रों के मुताबिक रायपुर के अलावा बिलासपुर, अंबिकापुर, भिलाई तथा जगदलपुर के फल मंडियों की लगातार जांच की जायेगी कि कहीं वहां भी रायपुर की फल मंडी के समान तो केमिकल का उपयोग फल पकाने के लिये नहीं हो रहा है. गौरतलब है कि पखवाड़े भर पहले राजधानी रायपुर में जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों द्वारा छापेमारी की गई थी. उस दौरान बड़ी मात्रा में केमिकल से केला, पपीता तथा आम को पकाये जाने के सबूत मिले थे. उनकी लैब में हुई जांच रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के ड्रग कंट्रोलर को आदेश दिया है कि लगातार फल मंडियों की निगरानी की जाये.
गौरतलब है कि रायपुर में उस समय 9000 किलो फल जब्त किये गये थे जिन्हें केमिकल से पकाया जा रहा था. रायपुर में पाया गया था कि टैगपोन-36 एवं ईथीलीन गैस का उपयोग फलों को पकाने के लिये होता है. इन रसायनों से लीवर तथा किडनी में गड़बड़ी होती है तथा कैंसर का खतरा हो सकता है. इसके बावजूद फल दुकानदार मुनाफा कमाने के लिये इन हानिकारक रसायनों का उपयोग कर रहें हैं.
रायपुर फल मंडी में छापा-
राजधानी रायपुर में मुनाफे के लिये लोगों की सेहत से खिलवाड़ किये जाने की शिकायत पर जिला कलेक्टर ओपी चौधरी के निर्देश पर डिप्टी कलेक्टर आरबी देवांगन एवं हरवंश मिरी के नेतृत्व में टीम ने रायपुर के लालपुर स्थित थोक फल बाजार में 18 जनवरी 2016 को छापेमारी की थी.
आशीष फ्रूट भंडार में पाया गया था कि वहां टैगपोन-36 नामक रसायन को पानी में मिलाकर उससे केला को पकाया जा रहा है. संयुक्त टीम ने वहां से 23 क्विंटल कच्चे केले को जब्त किया है.
इसी तरह वेंकटलक्ष्मी फ्रूट से ईथीलीन गैस सिलेंडर जब्त किया गया. इस सिलेंडर से मिथनीक गैस का चेंबर बना 8 टन केला पकाया जाता था. प्रशासन ने इसे जब्त कर लिया गया था.
जवाहर बाजार के आरकेजी फ्रूट से 25 क्विंटल पपीता तथा चौबे महाराज फ्रूट सप्लायर के यहां से 30 क्विंटल पपीता तथा 80 किलो आम जब्त किया गया है.
इऩ दुकानों में कार्बाइड रसायन का उपयोग करके फलों को पकाकर रायपुर के फल दुकानों में सप्लाई किया जाता था. टीम ने सैंपल जब्तकर लैब भेजा था.
शरीर को पहुंचाते हैं हानि-
कैल्शियम कार्बाइट: डब्ल्यूएचओ द्वारा इससे फलों को पकाना पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है. यह एक तरह का यौगिक है, जो फलों में लगे रहने के बाद शरीर में जाने से बीमारियां पैदा करता है. खासकर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
टैगपोन-39 :यह आक्सीडाइड एजेंट है. इस केमिकल के शरीर में जाने से खासकर अधिक मात्रा में पहुंचने से पेट, लीवर, प्लाज्मा से संबंधित बीमारियां होती हैं.
इथलीन गैस : इस गैस का उपयोग फलों को पकाने में किया जा रहा है. ज्यादा मात्रा से शरीर के लिए हानिकारक है. स्किन, लीवर और किडनी से संबंधित बीमारियां होने का खतरा रहता है.
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथारिटी ऑफ इंडिया का ऑकड़ा
उल्लेखनीय है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथारिटी ऑफ इंडिया द्वारा साल 2014-15 में छत्तीसगढ़ से 133 खाद्य पदार्थो के नमूने लिये गये जिनमें से 27 मिलावटी तथा मिसब्रांडेड पाये गये. उल्लेखनीय है कि खाद्य सामग्रियों पर गलत लेबल लगाने, मिलावट करने या असुरक्षित पदार्थ बेचने पर छह महीने से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान है. इसके साथ ही 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
इसके पिछले साल 2013-14 में छत्तीसगढ़ में कुल खाद्य पदार्थो के 294 नमूने लिये गये जिनमें से सभी की जांच की गई थी. जिसमें से 112 मिलावटी, असुरक्षित, घटिया तथा मिसब्रांडेड निकले. इऩमें से 56 खाद्य पदार्थ के विक्रेताओं के खिलाफ़ मामले दर्ज किये गये जिसमें से केवल 7 को जुर्माना हुआ.
हमारे यहां अक्सर बीमार पड़ने पर फल खाने की सलाह दी जाती है. चिकित्सक भी फल खाने के लिये कहते हैं तथा घर के बड़े-बूढ़े भी फल खाने की हिदायत देते हैं. लेकिन अब ऐसा लगता है कि गंभीर बीमारी से बचना है तो फल खाने से तौबा करना पड़ेगा.
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