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छत्तीसगढ़ के जंगल में हर दिन 11 जगहों पर आग

रायपुर | संवाददाता: जंगल में आग के मामले में छत्तीसगढ़ देश में सबसे आगे निकल गया है. दिलचस्प ये है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी जंगलों में आगजनी के मामले हर साल दुगने होते जा रहे हैं.

हालांकि सरकारी दस्तावेज़ों में यह दर्ज है कि छत्तीसगढ़ सरकार जीपीएस से लेकर दूसरे आधुनिक तकनीक से लैस है और इस पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के जंगलों में हर दिन औसतन आग लगने की 11 घटनायें हो रही हैं. क्षेत्रफल के हिसाब से यह देश में सबसे अधिक है. पूरे देश में आगजनी के आंकड़े देखें तो छत्तीसगढ़ तीसरे नंबर पर है.

दिलचस्प ये है कि आगजनी रोकने के लिये सरकार साल-दल साल और अधिक कोशिश और पैसे खर्च करने का दावा कर रही है लेकिन धरातल पर हालात बदत्तर हैं.

आंकड़ों में देखें तो 2015 में छत्तीसगढ़ के जंगलों में आगजनी की 1272 घटनायें हुई थीं, जो 2016 में बढ़ कर दुगुने से अधिक 2,808 हो गईं. इसके अगले साल यानी 2017 में यह आंकड़ा फिर पिछले साल की तुलना में लगभग दुगुना हो गया. आंकड़ों के अनुसार 2017 में छत्तीसगढ़ के जंगलों में आगजनी की 4373 घटनायें हुईं.

भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा का कहना है कि उनके मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून राष्ट्रीय दूरस्थ संवेदी केंद्र NRSC, हैदराबाद के सहयोग से रियल टाइम आधार पर मॉडरेट रिजोलूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रो-रेडियोमीटर MODIS सेंसर एब्रोड एक्वा और टेरा उपग्रहों का प्रयोग करके पता लगाए गये दावानलों के बारे में राज्य के वन विभाग और अन्य पंजीकृत संस्थाओं को चेतावनी देता है. जाहिर है, आग रोकने का काम राज्य सरकार का है और सरकार इसमें असफल साबित हो रही है.

केंद्र सरकार दावानल रोकने के लिये भी हर साल छत्तीसगढ़ को अतिरिक्त बजट उपलब्ध कराती है. 2015-16 में छत्तीसगढ़ को 120.75 लाख रुपये, 2016-17 में 211.04 लाख रुपये और 2017-18 में भी 168.00 लाख रुपये उपलब्ध कराये गये थे. इसके अलावा भी राज्य सरकार जंगल की सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करती है लेकिन जंगल की आग रुपने के बजाये बढ़ती जा रही है.

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