छत्तीसगढ़ में SC-ST का हाल
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के गांवों में महज 2.18 फीसदी परिवारों के पास किसान क्रेडिट कार्ड है. जिससे पचास हजार या उससे ज्यादा का कर्ज लिया जा सकता है. छत्तीसगढ़ के गांवों में 21 लाख 05 हजार 939 परिवारों के पास खुद की कोई जमीन नहीं है. इस तरह से गांव की आधी आबादी से भी कम 47 फीसदी परिवारों के पास खुद की जमीन नहीं है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के गांवों में 41.95 फीसदी परिवार अनुसूचित जाति तथा आदिवासी हैं जो सामान्य माने जाने वाली सुविधाओं तक से मयस्सर हैं.
छत्तीसगढ़ के गांवों में 23 लाख 56 हजार 786 परिवार के लोग कैजुअल लेबर का काम करते हैं. इस तरह से छत्तीसगढ़ के गांवों में 52.10 फीसदी परिवार कैजुअल लेबर हैं.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के गांवों में 18.04 फीसदी याने 15 लाख 55 हजार 651 परिवार अनुसूचित जाति से हैं. इसी तरह से छत्तीसगढ़ के गांवों मे 23.91 फीसदी परिवार याने 20 लाख 62 हजार 068 परिवार आदिवासी हैं.
आर्थिक-सामाजिक जाति आधारित जनगणना, 2011 के आकड़े बताते हैं कि इन कारणों की वजह से छत्तीसगढ़ के गांवों के लोग उन सुविधायों से भी वंचित हैं जिन्हें आज के युग में आवश्यक माना गया है तथा शहरों में व्यापक तौर पर उपलब्ध हैं.
छत्तीसगढ़ के गांवों के महज 3.30 फीसदी परिवारों के यहां रेफ्रिजेरेटर है. कुल 1 लाख 49 हजार 142 परिवारों के घऱ में खाने तथा सब्जियों को सुरक्षित रखने के लिये रेफ्रिजेरेटर है.
गांवों में महज 28.47 परिवारों के पास मोबाइल फोन है. मोबाइल फोन वाले परिवारों की संख्या 12 लाख 87 हजार 654 है. दूसरी तरफ दावा किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ को जिदिटल बनाया जायेगा.
इऩ गांवों में केवल 10.76 फीसदी परिवारों के पास दो पहिया-तीन पहिया-चार पहिया वाहन या मोटर बोट है. यह संख्या है 4 लाख 86 हजार 744 परिवार की. मोबाइल फोन, वाहन तथा रेफ्रिजेरेटर की सुविधाओं वाले परिवार की कम संख्या आखें खोल देने के लिये काफी है कि विकास छत्तीसगढञ के गांवों तक नहीं पहुंच पा रहा है.