असफलता, सफलता का मूलमंत्र: रमन
रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने छात्रों से ‘रमन के गोठ’ में कहा असफलता ही सफलता का मूलमंत्र है. इस दौरान उन्होंने अपने परीक्षा के दिनों को याद किया कि किस तरह से उनकी मां उन्हें सबेरे चार बजे उठा दिया करती थी. उन्होंने ‘रमन के गोठ’ में टोनही प्रताड़ना, घरेलू हिंसा और यौन अपराधों पर भी चर्चा की. डॉ. रमन सिंह ने वार्षिक परीक्षाओं के इस मौसम में प्रदेश के लाखों बच्चों को अपनी शुभकामनाएं दीं और मेहनत व लगन के साथ परीक्षा देने की सलाह दी. उन्होंने अपने बचपन को भी याद किया.
मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा कि परीक्षा में कम नंबर मिलने पर हताश होने की जरूरत नहीं है, बल्कि जीवन के संघर्ष में खेल भावना के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है.
डॉ. रमन सिंह रविवार को आकाशवाणी से अपने मासिक प्रसारण ‘रमन के गोठ’ की छठी कड़ी में प्रदेशवासियों को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री का यह रेडियो प्रसारण पिछली पांच कड़ियों की तरह इस बार भी प्रदेश के सभी जिलों के गांवों और शहरों में उत्साह के साथ सुना गया.
उन्होंने हिंदी और छत्तीसगढ़ी, दोनों भाषाओं में श्रोताओं के सामने अपनी बात रखी. मुख्यमंत्री ने टोनही प्रताड़ना, घरेलू हिंसा और यौन अपराधों की वजह से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए अपनी सरकार की वचनबद्धता को भी दोहराया.
उन्होंने कहा कि पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए कानून में जितनी सख्ती और कठोर दंड का प्रावधान हो सकता था, वह किया गया है और उनकी मदद के लिए राजधानी रायपुर में देश के प्रथम सखी-वन स्टॉप सेंटर की भी स्थापना की गई है.
उन्होंने राज्य के युवाओं से प्रदेश सरकार की कौशल उन्नयन योजनाओं के साथ जुड़े और रोजगार मांगने वाले के रूप में नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले की भूमिका में आने का भी आह्वान किया.
डॉ. रमन सिंह ने माघ पूर्णिमा के अवसर पर 22 फरवरी से शुरू हो रहे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध राजिम कुंभ में शामिल होने के लिए प्रदेशवासियों को न्योता दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महीने की 21 तारीख को होने वाली छत्तीसगढ़ यात्रा की भी खुशखबरी दी.
डॉ. सिंह ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा, “सभी स्कूलों में 23 फरवरी से बोर्ड तथा इसी बीच घरेलू परीक्षाएं भी शुरू होने वाली हैं. दसवीं-बारहवीं बोर्ड की परीक्षाओं में प्राप्त सफलता बच्चों का भविष्य तय करती है. आज से ठीक एक सप्ताह बाद परीक्षाएं शुरू होंगी. स्वभाविक हैं आप इसकी तैयारी में पूरे परिश्रम और मनोयोग से लगे होंगे.”
मुख्यमंत्री ने अपने बचपन के दिनों और स्कूली जीवन को याद करते हुए कहा, “बोर्ड परीक्षा के समय मुझे अलग ही रोमांच महसूस होता था. परीक्षा की तैयारी के दौरान मेरे मन में भी घबराहट होती थी, लेकिन उत्साह भी रहता था कि जितना अधिक परिश्रम करूंगा, उतना ही अच्छा परिणाम आएगा.”
उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि स्कूली परीक्षा के दौरान घर में हमारी माताजी हमें सवेरे चार बजे उठाया करती थीं, चाय बनाया करती थीं और जब परीक्षा देकर हम घर लौटते थे, तब उनके चेहरे पर सबसे ज्यादा चमक होती थी.”
मुख्यमंत्री ने छात्र-छात्राओं से कहा, “इसलिए आप और आपका पूरा परिवार इस परीक्षा में आपके साथ जुड़ा हुआ है, तो आप उन सबके लिए भी और अपने लिए भी उतनी मेहनत करें, ताकि आप अपने परिवार का सम्मान बढ़ा सकें. लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि हम सबको परीक्षा में बहुत अच्छे नंबर मिले.”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को परीक्षा में कम नंबर मिले तो इसमें हताश होने की जरूरत नहीं है, बल्कि जीवन के संघर्ष में हमें इसी तरह खेल भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए. अगर असफलता मिलती है तो फिर दोगुने प्रयास के साथ जुटना होगा. असफलता से हताश नहीं होना है, क्योंकि जितने भी सफल व्यक्ति दुनिया में हुए हैं, उन्हें भी असफलता मिली थी और उस असफलता को ही उन्होंने सफलता का मूल मंत्र माना और जीवन में कामयाब होकर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई.