छत्तीसगढ़ में कम होते रोजगार के अवसर
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ के उद्योगों में रोजगार के अवसर कम हो रहें हैं. संसद में पेश किये गये आकड़ों के अनुसार वर्ष उत्पादन क्षेत्र में वर्ष 2009-10 में प्रति हजार में 59 रोजगार के अवसर दिये वहीं 2010-11 में इसकी संख्या घटकर 48 रह गई. राष्ट्रीय स्तर पर 2009-10 में उत्पादन क्षेत्र में प्रति हजार में 110 रोजगार मिले जो 2010-11 में बढ़कर 126 का हो गया था. जाहिर है कि छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्तर के विपरीत उत्पादन क्षेत्र में रोजगार के अवसर कम हो रहें हैं. गौरतलब है कि इस बात की जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में दी.
देश के सभी राज्यों में सबसे ज्यादा रोजगार वर्ष 2010-11 में दमन एवं दीव ने दिया. 2010-11 में दमन एवं दीव ने 628 गोजगार दिये उसके जबकि पिछले वर्ष यह संख्या केवल 275 थी. इसके बाद उत्पादन क्षेत्र में रोजगार देने में दादर एवं नागर हवेली का स्थान है जिसने 2010-11 में 468 रोजगार दिये जबकि इसके पिछले वर्ष दादर एवं नागर हवेली ने 291 रोजगार दिये थे. राष्ट्रीय स्तर पर सबसे कम रोजगार नगालैंड ने केवल 21 दिया था.
छत्तीसगढ़ की तुलना यदि साथ में अस्तित्व में आये राज्यों के साथ की जाये तो राज्सभा में पेश किये गये यही आकड़े बयां करते हैं कि झारखंड में 2009-10 तथा 2010-11 में 77 रोजगार मिले थे तथा उत्तराखंड में 2009-10 तथा 2010-11 में क्रमशः 66 तथा 93 रोजगार मिले थे. छत्तीसगढ़ के लिये यही आकड़ा चौंकाने वाला है जिसमें 1009-10 की तुलना में 2010-11 में रोजगार कम मिले थे जबकि झारखंड में रोजगार देने की संख्या स्थिर रही थी तथा उत्तराखंड में इसमें वृद्धि दर्ज की गई थी. यहां तक की जिस मध्य प्रदेश का वर्ष 2000 तक छत्तीसगढ़ हिस्सा रहा है वहां भी 2009-10 में 61 रोजगार दिये गये जो 2010-11 में बढ़कर 72 का हो गया.
देश के 35 राज्यों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छ्त्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, मेघालय, मिजोरम, अंडमान-निकोबार द्वीप तथा लक्ष्यद्वीप में रोजगार घटे हैं. इसी प्रकार से असम, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नगालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, दादर एवं नागर हवेली, दमन एवं दीव तथा पुदुच्चेरी में रोजगार बढ़ें हैं. गौरतलब है कि झारखंड तथा त्रिपुरा में यह संख्या स्थिर रही है.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में उद्योगों की संख्या में इजाफा हुआ है. इसकी जानकारी छत्तीसगढ़ के विधानसभा में पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2013-14 में दिया गया है. जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ में 2009-10 में कारखानों की संख्या थी 1976 जो 2010-11 में बढ़कर 2358 हो गई. इसी तरह से इन कारखानों में कुल उत्पादन वर्ष 2009-10 में 67,78,083 लाख रुपयों का हुआ था जो 2010-11 में बढ़कर 79,54,481 लाख रुपयों का हो गया. इसी तरह से छत्तीसगढ़ के कारखानों का कुल उत्पादन वर्ष 2011-12 में बढ़कर 93,01,415 लाख रुपयों का हो गया. इस प्रकार से छत्तीसगढ़ में कारखानों का उत्पादन 16.9 फीसदी बढ़ा है.
यही वह आकड़ा है जो दिलचस्प है, छत्तीसगढ़ में उद्योगों का उत्पादन 16.9 फीसदी बढ़ा है परन्तु इनसे मिलने वाले रोजगारों की संख्या में कमी आई है. इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि छत्तीसगढ़ में लगने वालें उद्योगों से रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहें हैं परन्तु छत्तीसगढ़ के सकल घरेलू उत्पादन में औद्योगिक क्षेत्र में वर्ष 2013-14 में 6.07 फीसदी की वृद्धि अनुमानित है. इसे ही कहते हैं रोजगार विहीन विकास जिसमें उत्पादन की तुलना में रोजगार के अवसर नहीं बड़ते हैं. जिसका तात्पर्य है कि विकास का लाभ जनता तक नहीं पहुंचकर कुछेक मुठ्ठी भर लोगों के हाथों में ही सिमटकर रह जाता है.