गजराज का तांडव, वृद्धा को कुचला
रायगढ़ | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में हाथियों का का कहर जारी है. हाथियों का झुंड आकर किसानों के खेतों से धान तथा गन्ने की फसल खा जाते हैं. जितना फसल खातें नहीं उससे ज्यादा अपने पैरों तले रौंद के चले जाते हैं. बीच-बचाव करने के लिये ग्रामीणों को पांव से कुचलकर मार देते हैं. ताजा घटना धरमजयगढ़ के ओंगना गांव की है. जहां गजराज ने 47 वर्षीया महिला बुधवारी राठिया को मार डाला है.
मिली जानकारी के अऩुसार मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात को एक विशालकाय हाथी ने ओंगना गांव में अपने खेत के कोठना में कटी फसल की रखवाली कर रही महिला को अपने सूंड से सोते से उठाकर पटक दिया. उसके बाद उसे अपने पांव से कुचल दिया. जिससे महिला की मौत हो गई है. खबर पाकर वनविभाग का अमला वहां पहुंचा तथा मुआवजा देकर चला गया. पुलिस ने शव का पोस्टमार्ट करवाने के लिये भेज दिया है.
दरअसल, हाथियों के प्राकृतिक आवास जंगल को खदान तथा अन्य परियोजनाओं के लिये अंधाधुंध ढ़ंग से काटा जा रहा है. जिससे हाथियों के लिये रहने तथा खाने की समस्या खड़ी हो गई है. जंगल कटने के बाद हाथी उन स्थानों की ओर रुख करने के लिये मजबूर होते हैं जहां किसान अपनी फसल लगाते हैं. इन स्थानों पर आकर हाथी खड़ी फसल से अपनी भूख मिटाते हैं. विरोध करने पर या किसी मनुष्य को देखकर वे अपने लिये उसे खतरा मानकर उस पर हमला कर देते हैं.
सरकार भी मूल समस्या का निराकरण करने के बजाये सतही तौर पर मामले का निपटारा करने की कोशिश करती है. जिसके तहत हाथियों को गांवों से भगाने के लिये वन अमला तैनात किया जाता है. अब वन विभाग के पास भी इतनी संख्या में कर्मचारी नहीं हैं कि वे हर एक गांव की रखवाली कर सके. फलतः उनका कार्यक्षेत्र वहीं तक सिमटा रहता है जहां तक उसके कर्मचारियों की पहुंच होती है या जहां हाथियों के आवागमन की सूचना मिलती है. इस बीच, सबसे ज्यादा मार पड़ती है गांवों के किसानों को. हाथी उऩकी फसल भी खा जाते हैं तथा जनहानि भी उन्हीं की होती है.
हाल ही में हाथियों द्वारा मारे जाने का विवरण-
* छत्तीसगढ़ के कसडोल विकासखंड के बरबसपुर गांव के 52 वर्षीय किसान कमल नारायण मिश्रा को 25-26 दिसंबर की दरम्यानी रात को दो दंतैल हाथियों ने खलिहान से उठाकर सूंड से पटक-पटककर मार डाला.
* छत्तीसगढ़ के तपकरा के झरन में 20-21 दिसंबर की दरम्यानी रात को 17 हाथियों के दल ने एक दिव्यांग 21 वर्षीय दिव्यांग लड़की एलेन मंजुसा तिग्गा को पटक-पटचकर मार डाला.
* छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में घुस आये 11 हाथियों के दल ने 7 दिसंबर को जाने-जाते एक युवक को पांव से कुचलकर मार डाला.
* छत्तीसगढ़ के लुण्ड्रा में 29 नवंबर को हाथियों ने दो ग्रामीण जरहडीह गांव के निवासी 25 वर्षीय संतोष नागेश तथा 55 वर्षीय डेडौली निवासी रघु नागेश मौत के घाट उतार दिया.
* छत्तीसगढ़ के सरगुजा के सूरजपुर में हाथियों ने दो अलग-अलग घटनाओँ में 3 ग्रामीणों को मार डाला है. जिसमें 2 महिलायें भी शामिल हैं. घटना 27 नवंबर को मार डाला. पहली घटना में सूरजपुर जिले के बिहारपुर वन परिक्षेत्र के कछिया गांव में 33 हाथियों के दल से भटके एक हाथी ने दो महिलाओं 42 वर्षीया कौशल्या गोंड और 50 वर्षीया फूलवती गोंड को कुचलकर मार डाला. दूसरी घटना में उसी दिन 19 हाथियों के दल से भटके हाथी ने पत्नी के साथ खेत जा रहें 1 ग्रामीण 40 वर्षीय तिवारी रजवाड़े दौड़ाकर पकड़ा तथा अपने पैरों से कुचल दिया.
* छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में हाथियों ने 8 नवंबर को एक ग्रामीण 40 साल के सीताराम को घेर कर पैरों से कुचल दिया.
* अक्टूबर माह के अंत में जशपुर के सीतापुर वन क्षेत्र के ग्राम पंचायत गेरसा के सकईपानी पारा से लगे जंगल में 60 वर्षीया सोमारी को हाथियों ने कुचलकर मार डाला.
उल्लेखनीय है कि सरकारी आकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में हाथियों ने 82 लोगों को मार डाला है. जिसमें से 29 महिला तथा 53 पुरुष हैं.
इन 82 मौतों में से कोरिया जिले में 26, रायगढ़ में 25, सरगुजा में 16 हुये हैं.