11 सीटों के परिणाम तय करेंगे छत्तीसगढ़ की राजनीति
रायपुर | संवाददाता : मंगलवार को राज्य की 11 लोकसभा सीटों के परिणाम के साथ ही कई लोगों को राजनीतिक भविष्य भी तय होगा. भाजपा का दावा है कि सभी 11 सीटें इस बार वो जीत रही है.
वहीं कांग्रेस का कहना है कि इस बार इतिहास रचा जाएगा.
अभी छत्तीसगढ़ की 11 में से केवल 2 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.
अधिकांश लोगों की नज़रें राजनांदगांव सीट पर हैं, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री औऱ विधायक भूपेश बघेल मैदान में हैं.
भूपेश बघेल अगर जीत हासिल करते हैं तो राज्य में कांग्रेस के दूसरे नेताओं को बड़ा अवसर मिल सकता है. उनकी हार की स्थिति में उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर भी अटकलें लगनी लगी हैं.
भूपेश बघेल के अलावा राज्य के पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू महासमुंद से उतरे हैं तो पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया जांजगीर से मैदान में हैं.
इसी तरह कांग्रेस की सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत फिर से कोरबा से मैदान में हैं, जहां मंगलवार को उनकी जीत-हार का फैसला होगा.
कांग्रेस पार्टी का दावा है कि बस्तर, कांकेर, राजनांदगांव, जांजगीर, कोरबा ऐसी सीटे हैं, जहां कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जीतेंगे.
इसके अलावा बिलासपुर और सरगुजा से भी पार्टी नेताओं की उम्मीदें लगी हुई हैं.
लेकिन इन उम्मीदों से इतर, भाजपा का दावा है कि इस बार भाजपा सभी 11 सीटें जीतने वाली है.
भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल रायपुर से चुनाव मैदान में हैं. अब तक के चुनावों में हमेशा जीत हासिल करने वाले बृजमोहन अग्रवाल के समर्थकों का दावा है कि इस बार की लड़ाई जीत के लिए नहीं, बल्कि रिकार्डतोड़ मतों से जीत के लिए है.
आठ बार के विधायक और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, भले पहली बार लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे हैं लेकिन उनकी लगभग तय मानी जा रही जीत के बाद, भाजपा की राजनीति में बड़ा फेरबदल हो सकता है.
कभी रमन सिंह को हटाने के लिए अभियान चलाने वाले बृजमोहन अग्रवाल के दिल्ली जाने के बाद, कई विधायक अभी से मंत्री बनने की कतार में हैं.
रायपुर के अलावा एक ही समय में विधायक, महापौर और सांसद रह चुकी सुश्री सरोज पांडेय के कोरबा से हार-जीत को लेकर भी लोगों में कयास लगाए जा रहे हैं.
सरोज पांडेय पर भाजपा के केंद्रीय नेताओं को बहुत भरोसा रहा है. उन्हें संगठन में भी लगातार अच्छे पद हासिल होते रहे हैं.
लेकिन सरोज पांडेय का कोरबा में बाहरी होने एक बड़ा मुद्दा रहा है और भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता भी इससे असहज थे.
सरोज पांडेय मूलतः दुर्ग की रहने वाली हैं और उनके मुकाबले कांग्रेस की निवर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत कोरबा की स्थानीय निवासी हैं.
हालांकि भाजपा ने अपनी पूरी ताकत कोरबा में झोंक दी थी.
संगठन के निर्णय के बाद भाजपा कार्यकर्ता भी सरोज पांडेय के लिए जी-जान से काम करने के लिए बाध्य हो गए.
ऐसे में मंगलवार को आने वाले परिणाम ऐसे प्रयोगों का भी भविष्य तय करेंगे.