कोरियासरगुजा

पेट्रोल मालिक को सूखा राहत

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ में मकान तथा पेट्रोल पंप मालिक के नाम सूखा राहत चेक जारी हो गया है. वहीं दूसरी तरफ, जो किसान वाकई में सूखा पड़ने से प्रभावित हुये हैं उन्हें पांच रुपये से लेकर सौ रुपये तक का चेक थमा दिया गया है. छत्तीसगढ़ में सूखा राहत का मुआवजा नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. वे प्रदर्शन कर रहे हैं, भूख हड़ताल तक कर रहे हैं. मगर इस बीच चौंकाने वाली खबर यह है कि अधिकारियों ने उन लोगों को सूखा राहत का चेक बांट दिया, जिन्होंने खेती ही नहीं की.

कई लोगों को 10 से 20 हजार रुपये के चेक बांटे गए हैं. वहीं खेती करने वाले किसानों को 30 से 100 रुपये के चेक दिए गए हैं. हाल यह है कि खेती नहीं करने वाले किसान अब सरकार की ओर से मिले मुआवजे के चेक लौटा रहे हैं.

राजस्व विभाग के सचिव के.आर. पिस्दा का कहना है कि सरकारी नियम के अनुसार, ऐसे लोगों को मुआवजा नहीं मिल सकता. अगर अधिकारियों की लापरवाही के कारण बिना खेती किए लोगों को मुआवजा बांटा गया है, तो उसकी जांच की जाएगी. जो भी दोषी अधिकारी हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.

छत्तीसगढ़ में हजारों किसानों को बिना खेती किए ही मुआवजा बांटा गया है. लोक प्रहरी रमाशंकर गुप्ता ने सूचना के अधिकार में पूरे मामले का खुलासा किया.

उन्होंने बताया कि अकेले मनेंद्रगढ़ में ही सैकड़ों किसानों को गलत तरीके से मुआवजा बांट दिया गया. कई जमीन पर मकान और पेट्रोल पंप भी बन गए हैं, लेकिन अधिकारियों ने उनको भी सूखा का मुआवजा बांटा है.

रमाशंकर गुप्ता ने बताया कि उन्होंने अपनी पैतृक आठ एकड़ जमीन पर खेती नहीं की, लेकिन उनको भी 12 हजार 240 रुपये का चेक दिया गया.

उन्होंने बताया कि सूखा राहत के लिए सरकार की ओर से जो योग्यता तय की गई है, उसमें भारी गड़बड़ी है. सरकारी नियमों के अनुसार सिंचाई के साधन के कारण या फिर खेती नहीं करने के बाद भी जिन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ, उनको राजस्व रिकॉर्ड में जमीन का मालिक होने के कारण मुआवजा बांटा जा रहा है.

रमाशंकर गुप्ता ने कहा कि जब उनके खेत में किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ तो फिर वे राजनीतिक भीख लेने को तैयार नहीं हैं. इसको देखते हुए उन्होंने सूखा राहत मुआवजा का चेक जिला प्रशासन के अधिकारियों को वापस कर दिया है. जो सरकार किसानों के वास्तविक नुकसान का मुआवजा नहीं दे सकती, उसके द्वारा दिया गया चेक लेने का नैतिक अधिकार नहीं है.

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