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छत्तीसगढ़: ‘सूखा राहत’ से कितनी राहत?

रायपुर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ में सूखा राहत के नाम पर ‘प्रसाद’ बांटे जा रहें हैं. जी हां, सरकारी आंकड़े तो यही बयां कर रहे हैं. दरअसल, सूखा राहत देने का उद्देश्य है कि सूखे के कारण किसानों को जो हानि हुई है उसकी क्षतिपूर्ति राज्य सरकार कर देती है. लेकिन रायपुर जिले में साल 2015-16 तथा 2016-17 में जनवरी 2017 तक जो सूखा राहत दी गई है वह अलग ही कहानी बयां कर रही है.

छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के कुल 3 हजार 247 किसानों को 1 करोड़ 50 लाख 56 हजार 324 रुपयों की राहत प्रदान की गई है. इस तरह से रायपुर जिले के किसानों को औसतन 4 हजार 637 रुपयों की राहत दी गई है. जाहिर है कि सूखा राहत के नाम पर दी जाने वाली राशि इतनी कम है कि इससे यदि 4 सदस्यों वाले किसान को गुजारा करना पड़े तो हर एक के हिस्से में महज 1 हजार 159 रुपये ही आते हैं. अब भला इस महंगाई में एक आदमी इन रुपयों से कितने दिन तक गुजारा कर सकता है.

सूखा राहत पर चर्चा करने से छत्तीसगढ़ के कृषि मामलों के जानकार नंदकुमार कश्यप ने सीजी खबर से कहा हमारे राज्य में औसतन किसानों के पास तीन से पांच एकड़ तक की जमीन है. किसान एक एकड़ जमीन से 15-20 क्विंटल तक धान की पैदावार करता है. प्रति क्विंटल धान का उन्हें सरकार से 1,470 रुपया मिलता है. इस तरह से औसतन एक एकड़ से किसान को 22 हजार से 29 हजार तक मिल जाता है.

उन्होंने कहा इस तरह से छत्तीसगढ़ के किसान को औसतन धान का 66 हजार रुपये से लेकर 87 हजार रुपये तक मिल जाता है. किसान धान के बाद सब्जी की भी खेती कर लेता है. कई तो तीन फसल तक ले लेते हैं.

जाहिर है कि सूखा न पड़ने से तथा फसल होने से छत्तीसगढ़ के किसान धान की पैदावार से ही 66 हजार से लेकर 87 हजार रुपया पा जाते हैं. इसमें से उन्हें धान के बीज, खाद तथा बिजली आदि का खर्च भी निकालना पड़ता है. उसके बाद जो बचता है उससे उसके परिवार का भरण-पोषण होता है.

अब आप तुलना कीजिये कि यदि सूखा न पड़ा हो तो किसान को धान की पैदावार से ही 66 हजार से लेकर 87 हजार रुपये तक मिल जाते हैं. उसके एवज में जो सूखा राहत बांटा गया है वह महज 4 हजार 637 रुपयों का है. इस तरह से किसानों को 66 से 87 हजार रुपयों तक के नुकसान के लिये 4,637 रुपये थमा दिये जाते हैं तो वह सूखा पड़ने पर आत्महत्या न करे तो और क्या करे.

आइये, अब जरा छत्तीसगढ़ में किसानों द्वारा आत्महत्या किये जाने पर सरकारी आंकड़े क्या कहते हैं. सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 1 जनवरी 2014 से 31 दिसंबर 2016 तक छत्तीसगढ़ में किसानों के आत्महत्या करने की संख्या जिलेवार इस तरह से है.

* रायपुर जिला- 8 किसान.
* बलौदाबाजार- 4 किसान.
* धमतरी जिला- 3 किसान.
* महासमुंद- 4 किसान.
* दुर्ग जिला- 1 किसान.
* बालोद जिला- 9 किसान.
* बेमेतरा जिला- 33 किसान.
* राजनांदगांव- 17 किसान.
* कबीरधाम- 45 किसान.
* जांजगीर-चापा- 11 किसान.
* कोरबा जिला- 1 किसान.
* रायगढ़ जिला- 20 किसान.
* सरगुजा जिला- 94 किसान.
* बस्तर जिला- 1 किसान.
* कोण्डागांव- 1 किसान.

कुल 252 किसान.

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