नक्सल ऑपरेशन के हेलिकॉप्टर को पायलट के लाले
रायपुर: नक्सल विरोधी अभियान के लिये लाया गया ध्रुव हेलिकॉप्टर पायलट की कमी के कारण पिछले 6 महीने से रायपुर में जंग खा रहा है. बीएसएफ इस हेलिकॉप्टर के लिये पायलट की तलाश में जी जान से जुटा हुआ है. हालत ये है कि हेलिकॉप्टर बनाने वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और पवन हंस से भी बीएसएफ ने पायलट तलाशने के लिये कहा है लेकिन इसका नतीजा शून्य रहा है.
गौरतलब है कि देश भर में नक्सल ऑपरेशन के लिये गृह मंत्रालय के पास बीएसएफ के चार ध्रुव हेलिकॉप्टर और सेना के चार एमआई-17 यानी कुल जमा 8 हेलिकॉप्टर हैं, जिसमें से 2 से 3 हेलिकॉप्टर आम तौर पर मरम्मत में रहते हैं. इसके अलावा इन हेलिकॉप्टरों की महीने भर में 80 घंटे से अधिक के उड़ान क्षमता नहीं हैं.
रायपुर और रांची में तैनात इन आठों हेलिकॉप्टरों में से एक के नकारा पड़े रहने का नक्सल ऑपरेशन पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है. इस हेलिकॉप्टर के लिये सहयोगी पायलट और दूसरे कर्मचारियों की नियुक्ति कब की हो गई है लेकिन अब तक पायलट की तलाश नहीं हो पाई है.
ध्रुव को लेकर अधिकारियों का दावा है कि पायलट की खोज जल्दी ही कर ली जाएगी लेकिन दबे जुबान से कुछ अधिकारी यह भी मानते हैं कि नक्सल ऑपरेशन के लिये जल्दी से कोई भी पायलट तैयार नहीं होता. खास तौर पर दो साल पहले अक्टूबर 2011 में झारखंड के जंगलों में बीएसएफ के एक ध्रुव हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने और उसमें तीन लोगों के मारे जाने की घटना के बाद प्रोफेशनल पायलट आसानी से इस ऑपरेशन वाले हेलिकॉप्टर के लिये तैयार नहीं हैं.
रांची से लगे हुये खूंटी के गटीगढ़ा कोलाद जंगल में इस हेलिकॉप्टर दुर्घटना में दो पायलट कैप्टन एसपी सिंह एवं सहायक कैप्टन केवी थॉमस व एक टेक्नीशियन मनोज कुमार मारे गये थे. बाद में सारंडा के जंगलों में बेहद मजबूत माने जाने वाले नक्सली नेता कुंदन पाहन के गुट ने दावा किया था कि हेलिकॉप्टर उन्होंने मार गिराया था. हालांकि झारखंड के डीजीपी जीएस रथ ने इस दावे को लेकर जांच की बात कही थी.