रायपुर

छत्तीसगढ़: साइबर अपराधियों की खैर नहीं

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के रायपुर में साइबर अपराध कर शिकंजा सकने के लिये साइबर थाना खुलने जा रहा है. जिसमें 30 अधिकारियों कर्मचारियों का अमला रहेगा. इसमें वर्दीधारी पुलिस के अलावा साइबर एक्सपर्ट भी रहेंगे. इससे साइबर क्राइम की स्थिति में पुलिस त्वरित कार्यवाही कर सकेगी. इससे पहले साइबर क्राइम होने पर साइबर सेल इसकी जांच करता था परन्तु तकनीकी एक्सपर्ट के अभाव में साइबर अपराधी बच निकलते थे. पुलिस विभाग ने महानगरों की तर्ज पर राजधानी रायपुर में साइबर थाना खोलने की तैयारियां तेज कर दी हैं. साइबर थाने के लिए सेटअप की स्वीकृति का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा गया है.

इंटरनेट की उफलब्धता तथा उपयोग बढञने के साथ ही छत्तीसगढ़ में साइबर अपराध भी बढ़े हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ के रतनपुर में एक शख्स ने वाट्सऐप पर गांधी जी की आपत्तिजनक वीडियो डाल दी थी. सावधान करने के बावजूद कई बार लोग साइबर अपराधियों के चुंगल में फंसकर अपने एटीएम कार्ड से हजारों गंवा चुके हैं. साइबर थाना खुल जाने से इस तरह के मामलों की जांच तथा अपराधियों की धरपकड़ में तेजी आयेगी.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वर्तमान में साइबर अपराध से संबंधित शिकायत प्राप्त होने पर जिले के विभिन्न थानों में मामला पंजीबद्ध किया जाता है. वर्तमान में ज्यादातर पुलिस थानों में साइबर अपराध की विवेचना के लिए तकनीकी विशेषज्ञ भी नहीं हैं. इसके अलावा थानों के सभी पुलिस कर्मियों को सायबर अपराध संबंधी प्रशिक्षण दिया जाना भी संभव नहीं है. पुलिस अफसरों का कहना है कि थानों में विशेषज्ञों व ट्रेनिंग के अभाव में साइबर अपराध के मामलों की विवचेना वर्षों तक लंबित रहते हैं, जिसके कारण पीड़ितों को समय पर न्याय भी नहीं मिल पाता है.

जाने क्या है साइबर अपराध?
आज मानव जीवन कंप्यूटर से जुड़ा हुआ है. इस क्षेत्र के अपराध क्या-क्या हो सकते हैं, इसे जानना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है. कोई भी आपराधिक कृत्य जो कंप्यूटर अथवा संचार साधनों से जुड़ी है, साइबर क्राईम की श्रेणी में आता है. उदाहरण के लिये ‘कंप्यूटर के माध्यम से वित्तीय धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, हैकिंग, अश्लील संदेश संप्रेषण, टेलिफोन तकनीक का दुरूपयोग, राष्ट्रविरोधी गतिविधियाँ, वायरस का फैलाव, निजी हित में कंप्यूटर का उपयोग, कंपनी नीति के विरूध्द गतिविधि, कंप्यूटर नेटवर्क पर आक्रमण, प्रोनोग्राफी को प्रोत्साहन, आंतरिक और गुप्त सूचनाओं की चोरी, बौध्दिक संपदा की चोरी, आदि गतिविधियां व कार्यकलाप साइबर अपराध की श्रेणी में आती हैं.

डाटा और सूचना दो चीजें हैं. डाटा कंप्यूटर में भंडारित रहते हैं और सूचना डाटा के आधार पर संप्रेषित रिपोर्ट की जाती है. साइबर आपराधिक गतिविधियां डाटा से जुड़ी होती हैं और वे अपने पीछे इलेक्ट्रानिक साक्ष्य छोड़ जाती है. साइबर क्राइमों की जांच के लिये ‘कंप्यूटर फारसेनिक’ एक सक्षम विधा है जो विश्वस्तर पर विकसित हो रही है. इसमें आई.टी. और कंप्यूटर क्षेत्र के विशेषज्ञ लोग रहते हैं.

साइबर अपराधों को चार श्रेणी में विभक्त किया जा सकता है-
1. कंप्यूटर नेटवर्क से संबंधित अपराध
2. वित्तीय धोखाधड़ी
3. बौध्दिक संपदा से संबंधित
4. गैर-साइबर अपराधों को विस्तारित करने में कंप्यूटर का उपयोग

1.कंप्यूटर नेटवर्क से संबंधित अपराध : इस श्रेणी में मुख्य रूप से हैकिंग, सेकिंग, ई-मेल के माध्यम से धमकी देना, अज्ञात ई-मेल, मोबाइल फोन पर अश्लील संदेश देना, वायरस, आदि शामिल हैं.

2.वित्तीय धोखाधड़ी : इस श्रेणी में डिजिटल डाटा से खिलवाड़, वित्तीय संस्थाओं जैसे कैप, कार्यालय आदि की डाटा को गलत ढंग से प्राप्त करना मुख्यत: इस अपराध में आते हैं.

3.बौध्दिक संपदा की चोरी : इस श्रेणी में पेटेंट प्रोडक्ट की चोरी, साफ्टवेयर पाइरेसी, म्यूजिक पाइरेसी आदि शामिल है.

4.गैर साइबर अपराधों में कंप्यूटर का उपयोग : इस श्रेणी में वैसे अपराध आते हैं जो मुख्य रूप से प्रोनोग्राफी से संबंधित है. इसमें कंप्यूटर के माध्यम से राष्ट्रविरोधी व समाज विरोधी कार्यकलाप भी शामिल हैं.

मोबाइल और टेलिफोन के माध्यम से जो वायरस या गलत संदेश प्रसारित किये जाते हें वे भी साइबर क्राईम की श्रेणी में आते हैं.

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