छत्तीसगढ़

सुनिल कुमार को फिर नोटिस

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव सुनिल कुमार को बदनाम करने का राजनेताओं का अभियान जारी है. अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने मुख्य सचिव सुनील कुमार व कुछ अन्य अधिकारियों को अनुसूचित जाति व जनजाति छात्र और छात्राओं के अधिकार हनन के मामले में दोषी पाए जाने के कारण नोटिस जारी करते हुए महीने भर के अंदर जवाब तलब किया है. इस नोटिस के आने के बाद एक बार फिर से सरकार की छिछालेदर शुरु हो गई है.

कथित तौर पर जशपुर के बगीचा की निवासी रीना मंडावी और सरगुजा के उदयपुरा की निवासी रीना खालखो ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को शिकायत की थी कि इन अधिकारियों ने फर्नीचर आपूर्ति और साइकिल खरीदी में गड़बड़ी की है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव सुनिल कुमार, अपर मुख्य सचिव डीएस मिश्रा और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की प्रबंध संचालक रहीं आर संगीता के ख़िलाफ़ कथित भ्रष्टाचार की शिकायत की गई थी. केंद्र के मुख्य सतर्कता आयुक्त से की गई इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि राज्य में फ़र्नीचर और साइकिल की ख़रीदारी में कथित रुप से घोटाला हुआ है. शिकायत में इन अफ़सरों पर उन सामानों को अधिक क़ीमत पर ख़रीदने के आरोप लगाए गए थे.

इस शिकायत को लेकर राज्य के मुख्य सचिव सुनिल कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा था कि वे राज्य के सर्वोच्च प्रशासनिक पद पर बैठे हैं, ऐसे में उनके ख़िलाफ़ की गई शिकायत की जांच ठीक से नहीं हो पाएगी. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में उनके ख़िलाफ़ की गई शिकायत की जांच सीबीआई से करवाना उचित होगा.

सुनिल कुमार अपने खिलाफ हुई शिकायत की ऐसी प्रतिक्रिया करेंगे, इसकी उम्मीद शिकायतकर्ताओं को भी नहीं रही होगी. शिकायत किनके इशारों पर हुई है, यह बात राजनीतिक गलियारों में चर्चा में थी. लेकिन मंत्रीमंडल की बैठक से ऐन पहले राज्य के कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल फट पड़े और मुख्यमंत्री से मुख्य सचिव सुनिल कुमार को हटाने की मांग रख दी.

कहा जा रहा था कि सुनिल कुमार ने अपने खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है तो वे यह बात जानते हैं कि सीबीआई की जांच में कौन से चेहरे जनता के सामने उजागर होंगे. ऐसा तो होने से रहा कि सीबीआई केवल इसी मुद्दे की जांच करके चुपचाप बैठ जाएगी. जांच होगी तो कई गड़े मुर्दे उखड़ेंगे और लाल होते कई चेहरे पर कालिख पूत जायेंगे.

चुनावी साल में कांग्रेस किसी भी हाल में इस मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देना चाहती. कांग्रेस चाहती थी कि सीएस की चिट्ठी के आधार पर सीबीआई की जांच अगर हो जाये तो सरकार को बैकफुट पर धकेलना उनके लिये सरल होगा.

लेकिन सुनिल कुमार की चिट्ठी के अगले ही दिन बृजमोहन अग्रवाल के सब्र का बांध टूट गया और मुख्य सचिव की अपने ही खिलाफ सीबीआई जांच की मांग पर वे फट पड़े. यहां तक कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मुख्य सचिव को ही हटाने की मांग कर दी. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने मुख्य सचिव के अफसर ज्ञान पर सवाल उठाया और फिर सुनिल कुमार के ही इस्तीफे की मांग कर दी. जाहिर है, अगले दिन होने वाली बैठक से पहले बृजमोहन अग्रवाल की यह राजनीति काम कर गई.

अंतत: मंत्रिमंडल की बैठक से पहले मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य के ताकतवर मंत्रियों बृजमोहन अग्रवाल, चंद्रशेखर साहू, ननकीराम कंवर, हेमचंद यादव और रामविचार नेताम के साथ अलग से बैठक की. पौन घंटे तक मुख्य सचिव सुनिल कुमार के मुद्दे पर चर्चा हुई और शाम तक इस मामले का पटाक्षेप इस तरह हुआ कि न तो मुख्य सचिव को हटाया जायेगा और ना ही इस मामले की सीबीआई से जांच होगी.

अब एक बार फिर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की ओर से सुनिल कुमार को नोटिस जारी किया गया है और महीने भर के भीतर जवाब मांगा गया है. जाहिर है, मुख्यमंत्री रमन सिंह ने जिस बात के पटाक्षेप की घोषणा की थी, वह बात फिर से उघड़ कर नये शक्ल में सामने आ गई है.

ऐन चुनाव से पहले फिर से इस भूत के सामने आने का नुकसान केवल और केवल भाजपा को होगा, इस बात से रमन सिंह बेखबर नहीं होंगे लेकिन चुनाव आचार संहिता के दौर में अब वे क्या कर पायेंगे और सुनिल कुमार का रुख क्या होगा, इस पर सबकी नज़र बनी हुई है. हालांकि सुनिल कुमार को यह नोटिस ऐसे समय में मिली है, जब उनकी मां अस्पताल में भर्ती हैं और जीवन औऱ मौत के बीच झूल रही हैं.

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