छत्तीसगढ़ CPM- कार्पोरेटपरस्त बजट
रायपुर | संवाददाता: माकपा की छत्तीसगढ़ ईकाई ने सोमवार संसद में पेश केन्द्रीय बजट को ढपोरशंखी वादों और दावों के साथ जनविरोधी और कार्पोरेटपरस्त बजट करार दिया है. सोमवार को जारी एक बयान में माकपा के राज्य सचिव संजय पराते ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि फसल व खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में 100% एफडीआइ से देश में खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जायेगी.
उन्होंने कहा कृषि के लिए आबंटित बजट मनरेगा के लिए आबंटित बजट से भी कम है और लगभग 20 लाख करोड़ के बजट में देश के 60 करोड़ किसानों के लिए कृषि क्षेत्र में मात्र 36000 करोड़ रुपयों का ही आबंटन किया गया है.
मनरेगा में इस वित्तीय वर्ष में लगभग 5000 करोड़ रुपयों की मजदूरी बकाया है, जिसकी अदायगी के बाद बची राशि पिछले साल आबंटित बजट से भी कम होगी. महंगाई के कारण बढ़ी हुई मजदूरी के साथ मनरेगा के लिए पिछले वर्षों से कम श्रम दिवसों का सृजन हो रहा है और वर्त्तमान स्थिति को बनाए रखने के लिए भी कम-से-कम 45000 करोड़ रुपयों के आबंटन की जरूरत थी.
इस प्रकार मनरेगा के बजट में भी वास्तविक अर्थों में कटौती ही की गई है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था व ग्रामीण गरीब तबाही की ओर धकेल दिए जायेंगे.
माकपा नेता ने बजट को कार्पोरेटपरस्त बजट करार देते हुए कहा है कि पिछले वर्ष की तरह ही इस बार भी कारपोरेटों को 6 लाख करोड़ रुपयों से अधिक की टैक्स छूट दी गई है, जबकि अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी के जरिये आम जनता पर करों का बोझ लादा गया है.
उन्होंने कहा कि बजट के गरीब-हितैषी होने का भाजपाई दावा इस तथ्य से ही बेनकाब हो जाता है कि आम जनता के लिए रखी गई सब्सिडी भी पूरी तरह खर्च नहीं की गई है और इस बार भी आम जनता की सब्सिडी में भारी कटौती की गई है. वास्तव में संघ निर्देशित भाजपा सरकार संप्रग सरकार की ही नव-उदारवादी नीतियों को आगे बढाने की होड़ में लगी है.
छत्तीसगढ़ माकपा ने इस बजट को देश की गरीब जनता के खिलाफ ‘ संघ-भाजपा-कार्पोरेटों का युद्ध ‘ करार दिया है और इसके खिलाफ जनता के सभी तबकों को आगे आने का आह्वान किया है.