छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार?
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के कयास शुरु हो गये हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एक दशक तक सत्ता से बाहर रही कांग्रेस अगले माह होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में वापसी कर सकती है.
पार्टी की आपसी कलह और खींचतान के बावजूद कांग्रेस के पास उन प्रत्यक्ष तथ्यों को झुठलाने का मौका है, जो कहते हैं कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करा सकती है. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में किसी पार्टी विशेष की लहर नहीं है.
वहीं, छत्तीसगढ़ के भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि पार्टी आर्थिक विकास के बूते लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कराने को तैयार है. आयुर्वेदिक चिकित्सक से राजनेता बने 61 वर्षीय रमन सिंह दिसंबर 2003 से पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “मैं लगातार तीसरी जीत को तैयार हूं. इस चुनाव में भाजपा का प्रमुख चुनावी मुद्दा विकास होगा.”
वह इस बात से इंकार करते हैं कि लोगों में उनकी सरकार को लेकर किसी तरह की नाराजगी है. रमन ने कहा, “मैंने सभी 27 जिलों में 6,000 किलोमीटर यात्रा की. यह पिछले माह संपन्न हुई. इस दौरान मुझे अपनी सरकार के विरुद्ध किसी तरह की कोई चीज नजर नहीं आई. लेकिन मेरा मानना है कि प्रत्येक गांव में विकास के अधिक प्रयास की जरूरत है.”
विश्लेषक इस समृद्धि को भ्रम करार देते हैं. कुछ लोगों की राय है कि लोहे के धनी बस्तर और कोयले से संपन्न सरगुजा क्षेत्र को अभी भी खड़ा करने की जरूरत है. इसके साथ ही कहा जा रहा है कि मंत्रियों सहित भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता अपने अक्खड़ व्यवहार के चलते अलोकप्रिय हैं.
कांग्रेस नेता और राज्य के प्रथम मुख्य मुख्यमंत्री अजीत जोगी की टिप्पणी है कि “छत्तीसगढ़ से भाजपा का शासन खत्म होने को है. यह घोटालेबाजों की सरकार है.” दो बार मारवाही निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके जोगी इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे. कांग्रेस ने उनके पुत्र अमित जोगी को मारवाही से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने की स्वीकृति दे दी है.
इस बार चुनाव में छत्तीसगढ़ में एक या दो प्रतिशत मतदाता ही निर्णायक साबित होंगे. वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में महज दो प्रतिशत वोटों का अंतर था. लेकिन भाजपा ने आसानी से अतिरिक्त 12 सीटें जीत ली थी, तब कांग्रेस को 38 सीटें मिली थीं.
वर्ष 2008 में भाजपा ने बस्तर में 11 सीटें जीती और पार्टी को वर्ष 2013 में भी इसे कायम रखने की जरूरत है. लेकिन हाल में कराए गए पार्टी के आंतरिक सर्वे में चार-पांच सीटों पर हार मिलने के संकेत हैं. इसका मतलब कांग्रेस राज्य में सत्ता में लौटने की दौड़ में बनी हुई है.