धान का समर्थन मूल्य बढ़ा 4 फीसदी
रायपुर | संवाददाता: यूपीए सरकार के दौर में धान के समर्थन मूल्य में 45-63 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. वहीं, ‘अच्छे दिन’ लाने का वादा करने वाली मोदी सरकार के दौर में धान के समर्थन मूल्य में करीब 4 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. ठीक इसी तरह से इसके पहले के एनडीए सरकार के समय में भी धान के समर्थन मूल्य में करीब 12 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी. धान के समर्थन मूल्य में मात्र 50 रू. की वृद्धि को अपर्याप्त ठहराते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और कांग्रेस विधायक दल के नेता टीएस सिंहदेव ने कहा है कि यह आंशिक वृद्धि छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ धोखा है. भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में धान का समर्थन मूल्य 2100 रू. प्रति क्विंटल करने की पहल करने की बात कही थी. अब जबकि केन्द्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं तब वह अपने वायदे को क्यों पूरा नहीं कर रहे हैं? किस बात की रूकावट है?
उन्होंने मांग की कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री समर्थन मूल्य 2100 रू. करने की पहल कर उसे अपनी केन्द्र सरकार से पूरा क्यों नहीं करवाते? धान पर 300 बोनस पूरे पांच वर्ष तक देने की बात भी भाजपा ने कही थी. रमन सिंह ने चुनावी मंचों से बार-बार अपने इस वायदे की दुहाई देकर जनता का मत हासिल किया. अब जनता जनता ने मत देकर उन्हें इस काबिल बनाया कि वायदा पूरा कर सकें. फिर 300 बोनस, 2100 रू. समर्थन मूल्य क्यों नहीं देते, जनता के साथ यह वायदा खिलाफी क्यों?
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेताओं ने कहा छत्तीसगढ़ के किसान मजदूर और पूरी अर्थव्यवस्था धान की फसल पर निर्भर है. छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है. यूपीए-1 और यपूीए-2 के शासनकाल में औसत 80-90 रू. प्रति वर्श प्रतिक्विंटल धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया गया. जबकि भाजपा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले साल भी 50 रू. और इस साल भी सिर्फ 50 रू. की वृद्धि धान के समर्थन मूल्य में की है. भाजपा की सरकारे चाहती ही नहीं है कि धान उगाने वाला किसान आत्म निर्भर बने. अपने पांवों पर खड़ा हो सके. सोसाइटियों में खाद, बीज और ऋण की व्यवस्था नहीं होने पर गहरी नाराजगी जताते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेष बघेल और कांग्रेस विधायक दल के नेता टीएस सिंहदेव ने कहा है कि भाजपा की सरकारें किसान विरोधी धान विरोधी और छत्तीसगढ़ विरोधी है. धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2100 रूपयें प्रति क्विंटल किये जाने की पहल, किसानो की एक-एक दाना धान की खरीदी, धान पर 300 रूपयें प्रति क्विंटल बोनस अगले 5 सालो तक का किसानो से वादा खिलाफी की है.
तथ्य-
एनडीए सरकार के समय 5 सालों में धान का समर्थन मूल्य 1999 से 2004 तक सिर्फ साठ रूपयें बढ़ाया गया था. 490 रू. प्रति क्विंटल से 550 रू. प्रति क्विंटल अर्थात् मात्र 12%.
यूपीए 1 में धान का समर्थन मूल्य 5 वर्षो में 2004 से 2009 तक 450 रूपयें बढ़ाया गया. 550 रू. प्रति क्विंटल से 900 रू. प्रति क्विंटल अर्थात् 63%.
यूपीए 2 में 2009 से 2013 तक 5 वर्षो में धान का समर्थन मूल्य 410 रूपयें बढ़ाया जा चुका है. 900 रू. प्रति क्विंटल से 1310 रू. प्रति क्विंटल अर्थात् 45%.
नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद 2013 में 1310 रू. से 1360 रू अर्थात् करीब 4%.
नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद 2015 में 1360 रू. से 1410 रू. किया गया है अर्थात् करीब 4%.