महानदी विवाद नूरा कुश्ती: कांग्रेस
रायपुर | संवाददाता: महानदी विवाद को छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने नूरा कुश्ती करार दिया है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कहना है कि महानदी विवाद दरअसल दोनों राज्यों के पॉवर प्लांट मालिकों के हित में किसानों का हित बताकर प्रस्तुत किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इसे रमन सरकार तथा नवीन पटनायक सरकार के बीच नूरा कुश्ती कहा है. छत्तीसगढञ कांग्रेस ने एक प्रेस विज्ञप्त्ति के माध्य से कहा है कि छत्तीसगढञ के किसानों के हितों से कोई समझौता बरदास्त नहीं किया जायेगा.
महानदी के पानी को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार और ओडिशा सरकार पर किसानों के हितों से खिलवाड़ का आरोप लगाते हुये पूर्व विधायक डॉ. रामलाल भारद्वाज, पूर्व मंत्री प्रेमसाय सिंह, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी गिरीश देवांगन और प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि सिंचाई परियोजनाओं के समर्थन में सारा छत्तीसगढ़ एक साथ है लेकिन पानी के मामले को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच विवाद को पावर प्लांट मालिकों के हित में वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्री हवा दे रहे हैं. जरूरत इस बात की है कि किसानों के सिंचाई पानी के लिए परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर सारी वैधानिक जरूरतें पूरी करके हाथ में लिया जाये.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने कहा है छत्तीसगढ़ के गंगरेल बांध और ओडिशा के हीराकुंड बांध के गेट खोल कर महानदी का पानी बंगाल की खाड़ी में छोड़े जाने से ओडिशा की नवीन पटनायक और छत्तीसगढ़ की रमन सिंह की सरकार की पोल खुल गयी है. महानदी का 80 प्रतिशत पानी बहकर बंगाल की खाड़ी समुद्र में जा रहा है. पं. श्यामाचरण शुक्ल ने गंगरेल का निर्माण कराया. उनके बारे में कहने वाले लोग पहले अपने गिरेबान में झांके. स्वयं के मुख्यमंत्री रहते हुये क्या-क्या किया? पानी का पूरा झगड़ा दोनों ही राज्यों के पावर प्लांटों के दलालों का खड़ा किया हुआ है.
कांग्रेस की छत्तीसगढ़ ईकाई का कहना है नवीन पटनायक और रमन सिंह सरकारों के द्वारा किसानों के नाम पर अपने-अपने राज्यों के पावर प्लांटों के हित रक्षा की राजनीति की जा रही है. उड़ीसा और छत्तीसगढ़ सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रभावितों की सूची जारी करते हुये पूर्व विधायक डॉ. रामलाल भारद्वाज, पूर्व मंत्री प्रेमसाय सिंह, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी गिरीश देवांगन और प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि महानदी के पानी में पहला अधिकार इनका है लेकिन दोनों सरकारें किसानों को ही वंचित करने में लगी है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने कहा है कि इससे वे किसान प्रभावित हैं जिनकी महानदी रेजरवायर प्रोजेक्ट से जिनके खेतों की सिंचाई होती है. ऐसे छत्तीसगढ़ के किसान, ओडिशा में हीराकुंड बांध से जिनके खेतों की सिंचाई होती है ऐसे ओडिशा के किसान, रेत में नदी बाड़ी लगाने वाले दोनों राज्यों के किसान, नाला-नदी के किनारे बाड़ी लगाने वाले किसान. छत्तीसगढञ कांग्रेस ने कहा है आने वाली पीढ़ी के लिये जल संग्रहण किया जाना अत्यंत जरूरी है.
जल संग्रहण पर चिंतन छोड़ इस समय छत्तीसगढ़ सरकार और ओडिशा सरकार महानदी बैराज के जल बंटवारे पर बैठक आयोजित करने और नूराकुश्ती लड़ने में जुटा हुआ है. जबकि दोनों प्रदेश की सरकारों को जल संग्रहण बढ़ाने की कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करना चाहिये.
छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा की हालत एक ही जैसी है. जल संग्रहण पर जोर दिया जाना चाहिये लेकिन राजनीति तो हो रही है परन्तु जल संग्रहण पर दोनों ही सरकारों का ध्यान नहीं है.
ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ महानदी बैराज पर आपस में उलझने के बजाय महानदी के बहते जल को समुद्र में जाने से रोकने के महत्वपूर्ण उपायों पर ओडिशा और छत्तीसगढ़ में चर्चा हो और काम हो तो यह दोनों प्रदेश की जनता के हित में होगा.
छत्तीसगढ़ बने 16 साल हो गये लेकिन आज तक जलनीति तक नहीं बना पाने वाले मुखिया महानदी के पानी को लेकर खोखली डींगे हांक रहे है, जो दिखावा मात्र है. दोनों ही सरकार उद्योगहित में किसानों के नाम पर राजनीति करते हुये घड़ियाली आंसू बहा रही है.