जंगल सिंह की मौत भूख से: कांग्रेस
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के पेन्ड्रा में जंगल सिंह की मौत भूख से हुई थी. डॉ. रेणु जोगी के नेतृत्व में गठित छत्तीसगढ़ कांग्रेस की जांच कमेटी का यह कहना है. उल्लेखनीय है कि 27 मई को छत्तीसगढ़ के पेन्ड्रा में एक व्यक्ति मरा पाया गया था जिसे लावारिश घोषित कर उसे दफन कर दिया गया था. बाद में उसके परिजनों ने अखबार में तस्वीर देखकर उसे पहचाना था. गौरतलब है कि शुरुवाती मीडिया रिपोर्ट में मौत को भूख से होना बताया गया था परन्तु बाद में दावा किया गया कि मौत चोट लगने से हुई है. इसी की जांच करने के लिये छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने जांच कमेटी का गठन किया था.
मीडिया को जारी किये गये छत्तीसगढ़ कांग्रेस के रिपोर्ट के अनुसार, ” कांग्रेस जांच कमेटी ने जांच के दौरान यह पाया कि मौत को लेकर अलग-अलग बयान दिये गये. प्राथमिक रिपोर्ट में डॉक्टर ने मौत की वजह भूख को बताया और यह भी कहा कि जब अस्पताल लाया गया था तो उसकी मौत हो चुकी थी, शरीर पर चोट के निशान नहीं थे, उसके पेट में अन्न का एक भी दाना नहीं था. डॉ. हेमन्त उपाध्याय ने यह भी बताया था कि उन्होंने ऊपर के अधिकारियों को रिपोर्ट दे दी थी.”
जांच रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, ” पेण्ड्रा थाना प्रभारी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की थी कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि मृतक जंगल सिंह की मौत चोट से नहीं हुई है, शरीर के किसी भी हिस्से में चोट के निशान नहीं पाये गये, चिकित्सकों ने भी जांच के दौरान कहीं चोट के निशान नहीं पाये ऐसा थाना प्रभारी का बयान है.”
कांग्रेस का कहना है कि, ” अचानक एस.डी.एम. पेण्ड्रारोड ने मौत के कारणों पर प्रकाश डालते हुए जंगल सिंह की मौत को सिर पर चोट लगने की वजह बताया, एस.डी.एम. ने आनन-फानन में यही रिपोर्ट प्रभारी कलेक्टर बिलासपुर को सौंप दी, जिसे प्रभारी कलेक्टर बिलासपुर ने बिना चिकित्सकीय जानकारी लिये मुख्यमंत्री निवास तक रिपोर्ट भेज दी कि जंगल सिंह की मौत चोट लगने की वजह से हुई है. वहीं बी.एम.ओ. ने दूसरे दिन एक नया रिपोर्ट भेजा कि जंगल सिंह की मौत दिमागी हालत खराब होने की वजह से हुई है.”
जांच कमेटी ने पाया कि मृतक जंगल सिंह के रोजगार का कोई साधन नहीं था, ठेला लगाकर मूंगफली एवं ककड़ी आदि का व्यवसाय कर अपना परिवार का भरण-पोषण करता था, उसके परिवार में नीले रंग का राषन कार्ड है, जिसमें पहले 35 किलो चांवल मिलता था, जिसे अब कटौती कर प्रति व्यक्ति 7 किलो. अर्थात् 03 सदस्यों हेतु 21 किलो. चांवल प्राप्त होता है, जिससे एक माह तक गुजारा करना संभव नहीं है. उसका मनरेगा के तहत् जॉब कार्ड बना हुआ था, लेकिन उसे कार्य प्रदान नहीं किया जा रहा था, जिसकी वजह से वह कार्य की तलाश में ही मृत्यु से दो दिन पूर्व घर छोड़कर गया था.