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रेल्वे के मेनू में कॉचरोच फ्री

रायपुर | संवाददाता: भारतीय रेल में सफर के दौरान कॉकरोच मुफ्त में परोसा जाता है. इसके लिये न ही पैसे लिये जाते हैं और न ही इसकी सूचना दी जाती है. इसके लिये आपकों खुद ही जांच करनी पड़ेगी कि आपके खाने में कॉकरोच है या नहीं. यह भी हो सकता है कि आपको जो दाल दी गई है उसमें कॉकरोच रहा हो परन्तु आपके हिस्सें में आई दाल में कॉकरोच के दर्शन साक्षात न हो. गुरुवार को हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस में घटी घटना यही इंगित करती है.

गुरुवार को इस ट्रेन के बी 1 कोच के 39 व 40 बर्थ पर रायगढ़ से नरेन्द्र डोंगरे का परिवार नागपुर जा रहा था. बिलासपुर के पास उन्होंने पैंट्रीकार से दो स्पेशल थाली मंगवाई. जब उऩकी पत्नी बच्ची को खाना खिला रही थी तो उसमें मरा हुआ कॉकरोच मिला. काफी बहस के बाद डोंगरे जी को शिकायत पुस्तिका दी गई.

इसकी सूचना मिलने पर राजधानी रायपुर में एक लोकप्रिय हिन्दी दैनिक के संवाददाता ने छानबीन की. अपने छानबीन के दौरान संवाददाता ने पाया कि पैंट्रीकार में सर्वत्र कॉकरोच बिखरे हुये हैं. यहां तक की उबले हुये अंडों के साथ भी कॉकरोच पाये गये. संवाददाता को पैंट्रीकार में 50 के करीब जिंदा तथा मृत कॉकरोच मिले.

जाहिर है कि बुलेट ट्रेन चलाने का दावा करने वाली तथा रेल सफर में हवाई जहाज के समान फ्लेक्शी किराया लेने वाली रेलवे पैंट्रीकार की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दे पा रही है. रेलवे खाने का ठेका निजी ठेकेदारों को देने के बाद शायद ही कभी उनके खान की तथा साफ-सफाई की नियमित जांच करती है और न ही भारतीय रेलवे के पास इसकी नियमित जांच करने के लिये कोई स्थाई व्यवस्था है.

उल्लेखनीय है कि कॉकरोच जब किसी खान को खाते हैं तो उनके पेट के भीतर जो बैक्टीरियां होती हैं वे उसके लार के माध्यम से खाद्य पदार्थ में मिल जाते हैं. जिससे पाचन क्रिया में समस्या तथा संक्रमण हो जाता है. कॉकरोच से सॉलमोनेला नामक खतरनाक बैक्टीरिया फैलता जिससे टाइफाइड होता है. सॉलमोनेला ने फूड पायजनिंग भी होता है.

एक अध्ययन के अनुसार कॉकरोच से सूडोमानास नामक बैक्टीरियां फैलती जिससे मूत्र में इंफेक्शन होता है. कई लोगों को कॉकरोच से त्वचा की एलर्जी भी होती है.

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