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US पहुंचा छत्तीसगढ़ का कोल सत्याग्रह

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के कोल सत्याग्रह की गूंज अमरीका तक पहुंच गई है. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के तमनार में ग्रामीणों द्वारा उपक्रम बनाकर कोयला खदान उन्हें देने की मांग पर आंदोलन किया गया था. इस दिन ग्रामीण सांकेतिक रूप से कोयला खोदकर कोयला कानून तोड़ते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जिसे कोयला चाहिये हम देंगे तथा सरकार को रायल्टी भी देंगे. इसके अलावा मुनाफे से ‘कॉरपोरेट सोशल रेसपांनसिबिटी’ की मद से गांवों का विकास करेंगे. उन्होंने कहा कि इससे आसपास के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा. ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें उपक्रम बनाकर कोयला खनन की अनुमति दी जाये.

गारे के ग्रामीण अपनी इस मांग को लेकर 2 अक्टूबर को कोल सत्याग्रह करते हैं. जिसमें करीब 50 गांवों के ग्रामीण शामिल होते हैं. इससे प्रभावित होकर अमरीका के मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी के जेम्स मेडिसन कॉलेज में इसे एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पढ़ाया जाने वाला है. इसे एक चेप्टर के रूप में बच्चों को पढ़ाया जायेगा. इसके लिये गारे के इस कोल सत्याग्रह के नेताओँ को वहां पर बुलाया गया है.

सामाजिक कार्यकर्ता सविता रथ का कहना है कि ग्रामीणों ने इसके लिये बकायदा कोल डिपो तैयार रखे हैं. शासन यदि उन्हें कोल उत्खनन कर बिक्री करने की अनुमति देती है तो वे औद्योगिक घराने से अधिक दर पर कोयले की रायल्टी देने को तैयार हैं.

गारे पल्मा कोल ब्लॉक
केन्द्र सरकार ने मार्च माह में छत्तीसगढ़ के तीन कोयला खदानों को कोल इंडिया को दे दिया है. पहले जिंदल पॉवर एंड स्टील ने नीलामी में बोली लगाकर इसे प्राप्त किया था. जिंदल पर आरोप है कि यह बोलियां फिक्स थी. इस कारण से केन्द्र सरकार ने इन कोयला खदानों की बोलियों को रद्द करते हुये इन्हें कोल इंडिया को आवंटित कर दिया है.

कोयला ब्लॉक की नीलामी में कुछ रद्द की गई अधिकतम बोली वाले तीन खदानों का आवंटन कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया लिमिटेड को कर दिया. अधिकतम बोली रद्द किए जाने के विरुद्ध जिंदल स्टील एंड पॉवर ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका भी दाखिल की. कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गारे पल्मा 4/1, 4/2 और 4/3 का आवंटन कोल इंडिया को कर दिया गया है. दो चरणों की नीलामी में इन ब्लॉकों के लिए जेएसपीएल और बाल्को ने अधिकतम बोली लगाई थी.

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