कोल ब्लॉक: ज़मीन पुनर्मूल्यांकन पर रोक
रायपुर | बीबीसी: केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ समेत छह राज्यों को एक पत्र लिखकर साफ कर दिया है कि कोल ब्लॉक के लिये आवंटित ज़मीन का नये सिरे से मूल्यांकन नहीं किया जा सकता.
केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ को पत्र लिखकर बताया है कि मंत्रालय की बैठक में कोल ब्लॉक का आवंटन पाने वाली कंपनियों को स्टांप शुल्क संबंधी स्थिति बता दी गई है.
असल में छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले महीने एक अध्यादेश लाकर भारतीय स्टांप नियम में संशोधन किया था. इस संशोधन के जरिए खनन पट्टों पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी में छूट प्रदान की गई थी.
कांग्रेस पार्टी का आरोप था कि छत्तीसगढ़ में नीलामी में कोल ब्लॉक हासिल करने वाली चार कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार स्टांप शुल्क से संबंधित अध्यादेश लाई है. इन चारों कंपनियों को इस अध्यादेश के बाद 3000 करोड़ रुपये का लाभ होता.
छत्तीसगढ़ में 130 चिन्हित कोयला खदाने हैं. इनमें से यूपीए सरकार ने 42 खदानों का आवंटन किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
बाद में नरेंद्र मोदी सरकार ने इनमें से 9 कोल ब्लॉक की नीलामी की जिसे वेदांता की बाल्को, जिंदल, एसीसी, हिंडाल्को और मोनेट ने बोली लगाकर हासिल किया.
हालांकि जिंदल की 3 और वेदांता के एक कोल ब्लॉक का मामला विभिन्न आरोपों के कारण अभी अदालत में लंबित है.
छत्तीसगढ़ के उद्योग एवं वाणिज्यकर मंत्री अमर अग्रवाल ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “हम स्टांप शुल्क में संशोधन का जो अध्यादेश लाए हैं, वह केवल कानूनों में सुस्पष्टता लाने के लिए था. नीलामी की राशि को स्टांप ड्यूटी की गणना में किसी प्रदेश में नहीं जोड़ा गया है. इससे राज्य सरकार को किसी तरह के नुकसान का सवाल ही नहीं है.”
वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला कहते हैं, ”हम चाहते हैं कि राज्य सरकार यह अध्यादेश वापस ले. इसके साथ ही केंद्र सरकार आदिवासियों के हक़ में फ़ैसला ले और जहां आदिवासी इन कोल ब्लॉक के खिलाफ हैं, वहां नीलाम किए गए कोल ब्लॉक रद्द करे.”
देश का कुल 17.24 प्रतिशत कोयला भंडार छत्तीसगढ़ में है. राज्य के कोरबा, रायगढ़, कोरिया और सरगुजा ज़िले में 49 हज़ार 280 मिलियन टन कोयला ज़मीन के नीचे है. देश के कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ हर साल 21 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है.