छत्तीसगढ़

मौत की सरकारी दवा सिप्रोसीन!

बिलासपुर | उस्मान कुरैशी: सरकारी सप्लाई वाली दवा सिप्रोसीन 500 एमजी खाने से सर्दी खांसी से पीड़ित युवक की जान पर बन आई है. ये वही दवा है जो नसबंदी आपरेशन के बाद महिलाओं को दी गई थी. चिंता जनक हालत में युवक को उपचार के लिए निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है. जहां उसे वेटिलेटर में रखा गया है.

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में घुटकू गांव के पंडरीपारा निवासी 35 वर्शीय मदन लाल सूर्यवंशी को सर्दी खांसी का सामान्य संक्रमण था. सोमवार 10 नवम्बर को वह इसका उपचार कराने समीप के गांव गनियारी गया. उसके छोटे भाई सदन लाल के मुताबिक वहां के डाक्टर जैन ने उसकी जांच कर खाने को दवाईयां दी. घर आने के बाद उसने दवाईयों का सेवन किया . इसके बाद दूसरे दिन से उसकी तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई. उल्टी दस्त की वजह से उसका शरीर कमजोर हो गया. हालत बिगड़ने पर उसे गुरूवार के तड़के उपचार के लिए बिलासपुर के निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. जहां मौजूद डाक्टर पवन अग्रवाल ने उसका सामान्य उपचार शुरू किया.

निजी चिकित्सालय के डाक्टर आशुतोश तिवारी के मुताबिक जब मदन को अस्पताल में भर्ती किया गया तब उसके शरीर में पानी की काफी कमी थी. हार्ट बीट काफी कम था और ब्लड प्रेशर भी लो था. इसी के चलते उसका सामान्य उपचार किया जा रहा था. फिर अचानक दिमाग में क्लिक हुआ की इस मरीज में भी वैसे ही लक्षण दिखाई पड़ रहे थे जो नसबंदी के बाद अस्पतालों में उपचार के लिए भर्ती महिलाओं के थे. तब हमने उसके परिजनों से उसे दी गई दवाओं के बारे में जानकारी ली. और सारी दवाओं को अस्पताल में मंगाकर देखा गया. तब दस बात का खुलासा हुआ कि इसमें सिप्रोसीन 500 एमजी की बैच नंबर 1410 की दवा भी शामिल थी.

इसके बाद युवक की पूरी जांच की की गई जिसमें उसके दोनों किडनी के फेल होने की रिपोर्ट आई. फिलहाल युवक को लाइफ सपोर्ट सिस्टम में वेटिंलेटर पर रखा गया है. डा. तिवारी के मुताबिक मरीज की एमएलसी पुलिस को भेज दी गई है. साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फोन पर जानकारी दे दी गई है. मरीज और दवाओं के फोटोग्राफ भी ई-मेल के जरिए सीएमओ को दे दी गई है.

अब बढ़ सकती है प्रदेश सरकार की मुसीबतें

नसबंदी के बाद महिलाओं की मौत पर अब तक डाक्टरों की लापरवाही और इंनफेशन को जिम्मेदार माना जा रहा था. अब इस मामले में कथित सिप्रोसीन 500 एमजी दवा के खाने के बाद रिएक्शन से युवक की हालत गंभीर होने का मामला सामने आने पर जांच की दिशा बदल सकती है. वैसे भी सिप्रोसीन 500 एमजी टेबलेट को राज्य सरकार ने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानते हुए फिलहाल प्रतिबंधित कर दिया है.

अब तक डाक्टरों को गुनहगार मानकर फौरी कार्रवाई करने वाली सरकार अब दवा निर्माताओं और इनसे दवा की खरीदी करने वाली ब्यूरोक्रेसी पर कितनी कड़ी कार्रवाई मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह करते है ये देखने वाली बात होगी.

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