चना उत्पादक किसानों के साथ फिर धोखा
रायपुर | संवाददाता: चना उत्पादक किसानों को छत्तीसगढ़ सरकार ने 120 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया है. लेकिन सरकार के इस निर्णय से किसान घाटे में ही रहेंगे. सरकार ने जो मापदंड तय किये हैं, उसके तहत किसानों को समर्थन मूल्य के बराबर भी कीमत नहीं मिलेगी. यहां तक कि किसानों को प्रति एकड़ 4,500 रुपये का घाटा होगा.
मंगलवार को मंत्रीमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया. सरकार का दावा है कि सरकार के इस फैसले से 4 लाख चना उत्पादक किसानों को लाभ होगा. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिले में पिछले कुछ दिनों से शुरु हुये ‘चना सत्याग्रह’ के कारण सरकार को यह निर्णय लेना पड़ा है. लेकिन इस निर्णय में भी राज्य के किसान घाटे में रहेंगे.
असल में छत्तीसगढ़ में इस साल रबी की फसल के तौर पर धान उगाने वाले किसानों को राज्य सरकार ने उनकी बिजली काटने की धमकी दी थी. इसके अलावा धान के लिये किसी भी हालत में पानी नहीं देने का सरकार ने निर्णय लिया था. लेकिन जब किसानों ने चना और तिलहन समेत दूसरी फसलें उगा लीं तो सरकार ने समर्थन मूल्य पर उनकी खरीदी भी नहीं की.
अपनी मांगों को लेकर किसानों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया. धमतरी और राजनांदगांव में किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ा. कई जगह किसानों ने अर्धनग्न हो कर प्रदर्शन किया. सरकार के लिये सबसे बड़ी मुश्किल मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिले राजनांदगांव में शुरु हुये ‘चना सत्याग्रह’ से हुई.
चना का समर्थन मूल्य नहीं मिलने से नाराज किसानों ने अपनी तरह के इस अनूठे ‘चना सत्याग्रह’ में किसान संघ के बैनर तले प्रदर्शन की शुरुआत की. किसानों ने सड़क किनारे खड़े हो कर कई क्विंटल चना आने-जाने वालों को मुफ्त में बांट दिया. इसके अलावा छुईखदान, साल्हेवारा, खैरागढ़, कबीरधाम और डोंगरगढ़ में भी बड़े किसान आंदोलन की शुरुआत की.
पिछली बार तमाम दबावों के बाद भी हज़ारों किसानों के राजनांदगांव की सड़कों पर उतरने से चकित सरकार चुनावी साल में किसी नये प्रदर्शन के लिये तैयार नहीं थी. यही कारण है कि मंगलवार को छत्तीसगढ़ सरकार ने मंत्रीमंडल की बैठक में तय किया कि चना उगाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जायेगी. सरकार ने चार लाख किसानों को 120 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है. इस फैसले के अनुसार किसानों को प्रोत्साहन राशि के तौर पर प्रति एकड़ 1500 रुपये दिये जायेंगे.
छत्तीसगढ़ में प्रति हेक्टेयर चना का उत्पादन देखें तो इंदिरा चना 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उपज देती है. वहीं वैभव 13 से 15 क्विंटल, ग्वालियर-2 12 से 15 क्विंटल, उज्जैन-24 10 से 13 क्विंटल, जेजी 315 12 से 15 क्विंटल, विजय 24 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उपज देती हैं. काबुली चने की बात करें तो एल 550 और सी-104 की उपज 10 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
सरकारी आंकड़ों की मानें तो औसतन छत्तीसगढ़ में प्रति एकड़ लगभग 6 क्विंटल चने की उपज होती है. अगर समर्थन मूल्य पर किसानों से चने की खरीदी होती तो 4400 प्रति क्विंटल के हिसाब से एक एकड़ में उगे 6 क्विंटल चने की कीमत 26,400 रुपये मिलती. लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होने के कारण किसानों को महज 3400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चना बेचना पड़ रहा है. इस तरह एक एकड़ में किसानों को 20,400 रुपये मिल रहे हैं. इसमें अगर 1500 रुपये की सरकार की प्रोत्साहन राशि जोड़ ली जाये तो यह 21,900 रुपये होता है. यानी किसानों से अगर सरकार समर्थन मूल्य पर चना खरीदती तो किसानों को अधिक लाभ होता. लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं करने और महज प्रोत्साहन राशि देने से किसानों को प्रति एकड़ 4500 रुपये का घाटा हो रहा है.
जाहिर है, मंत्रीमंडल के ताज़ा निर्णय से किसानों को भागते भूत की लंगोटी की तर्ज पर थोड़ी रकम तो मिलेगी लेकिन यह कोई बड़ी राहत नहीं होगी. ऐसे में किसान अगर फिर से चना के सवाल पर सड़कों पर उतर आयें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये.