लाखों किसान बन गये मजदूर
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में जनगणना के ताजा आंकड़ो में राज्य में औद्योगिकरण की भयानक सच्चाई सामने आई है. आंकड़ों से पता चलता है कि खेती करने वाले लाखों की किसान अब मजदूर बन कर रह गये हैं. 2001 की जनगणना में जहां कुल कामकाजी लोगों में किसानों की जनसंख्या 44.54 प्रतिशत थी, वह 2011 में घट कर 32.88 प्रतिशत रह गई है. इसके उलट खेतिहर मजदूरों की जनसंख्या आश्चचर्यजनक रुप से बढ़ गई है. 2001 में कुल कार्मिकों में 31.94 प्रतिशत जनसंख्या खेतिहर मजदूरों की थी. 2011 में इसमें चिंताजनक बढ़ोत्तरी हुई है और यह 41.80 प्रतिशत तक जा पहुंची है.
इसी तरह छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की दशकीय जनसंख्या वृद्धि की सुस्त रफ्तार चिंताजनक है. राज्य में अनुसूचित जाति में दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर 35.37 प्रतिशत के मुकाबले आदिवासियों में यह वृद्धि दर लगभग आधी केवल 18.23 प्रतिशत है.
जनगणना 2011 के तहत छत्तीसगढ़ राज्य की जनसंख्या के अंतिम आंकड़े प्राथमिक जनगणना सार जनगणना निदेशालय द्वारा जारी किए गए हैं. जनगणना निदेशक छत्तीसगढ़ रेणु पिल्ले ने राज्य की कुल जनसंख्या के साथ ही साथ अनेक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय आंकड़ों को राज्य, जिला, तहसील, नगर एवं ग्राम स्तर पर पृथक-पृथक रूप से प्रस्तुत किया.
जनगणना 2011 के अंतिम आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य की जनसंख्या एक मार्च, 2011 के 00.00 बजे 2 करोड़ 55 लाख 45 हजार 198 है. जबकि देश की कुल जनसंख्या 1,210,569,573 है. छत्तीसगढ़ में एक करोड़ 28 लाख 32 हजार 895 पुरूष तथा एक करोड़ 27 लाख 12 हजार 303 महिलाएं है. यह देश की कुल जनसंख्या का 2.11 प्रतिशत है.
राज्य की कुल जनसंख्या में रायपुर जिले की जनसंख्या सबसे अधिक 40,63,872 है. नारायणपुर (1,39,820) सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है. 2001-2011 दशक में राज्य में 47,11,395 जनसंख्या की बढ़त हुई है. जनगणना 2001 में कुल जनसंख्या 2,08,33,803 थी, जो बढकर 2,55,45,198 हो गया है. इस प्रकार, राज्य की दशकीय जनसंख्या वृद्धि (2001-2011) दर 22.61 प्रतिशत है. विगत जनसंख्या (18-27%) की तुलना में इस जनगणना में जनसंख्या वृद्धि दर 4.34 प्रतिशत अंक अधिक है. 2001-2011 के दौरान कबीरधाम जिले में सबसे अधिक 40.7 प्रतिशत जनसंख्या वृद्धि दर तथा सबसे कम बीजापुर में 8.78 प्रतिशत दर्ज की गई है.
राज्य में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 32,74,269 है. राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति के जनसंख्या का 12.82 प्रतिशत अंशदान है. वर्ष 2001 में यह प्रतिशत 11.61 दर्ज किया गया था. जनगणना 2001 में इनकी जनसंख्या 24,18,722 थी. इस प्रकार दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर 35.37 प्रतिशत है. अनुसूचित जाति की जनसंख्या का सर्वाधिक अंशदान प्रतिशत जांजगीर-चांपा जिले में 24.57 है और सबसे कम अंशदान प्रतिशत दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले में 2.44 है.
अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या राज्य में 78,22,902 है. जनगणना 2001 में इनकी कुल जनसंख्या 66,16,596 थी. इस प्रकार राज्य में अनुसूचित जनजाति की दशकीय वृद्धि दर 18.23 प्रतिशत है. राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या का अंशदान 30.62 प्रतिशत है. वर्ष 2001 में अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत 31.76 दर्ज किया गया था. जिला स्तर पर, अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या का सर्वाधिक अंशदान प्रतिशत बीजापुर जिले में 80 है जबकि सबसे कम अंशदान प्रतिशत जांजगीर-चांपा जिले में 11.56 है.
जनगणना 2011 में देश का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. है जबकि राज्य में यह 189 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर दर्ज किया गया है. पिछली जनगणना में यह घनत्व 154 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. था. जांजगीर-चांपा जिले में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व (420) दर्ज किया गया है. नारायणपुर और बीजापुर सबसे कम (30) जनसंख्या घनत्व वाले जिले हैं.
इस जनगणना में देश का स्त्री-पुरूष अनुपात 943 है. राज्य में यह अनुपात 991 है जबकि जनगणना 2001 में यह अनुपात 989 था. इस संदर्भ में राज्य का देश में छठवां स्थान है. बस्तर, दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा, उत्तर बस्तर कांकेर, महासमुंद, राजनांदगांव, धमतरी तथा जशपुर जिलों में यह अनुपात 1000 से ज्यादा है. सबसे अधिक स्त्री-पुरूष अनुपात 1023 बस्तर में तथा सबसे कम कोरिया में 968 दर्ज किया गया है. जनगणना 2011 में राज्य की 0-6 आयु समूह की जनसंख्या 36,61,689 है जो कुल जनसंख्या का 14.33 प्रतिशत है.
विगत जनगणना में यह प्रतिशत 17.06 था. इस आयु समूह का सर्वाधिक प्रतिशत कबीरधाम जिले (17-25%) में तथा सबसे कम धमतरी (12-74%) में दर्ज की गई है. देश में 0-6 आयु समूह का स्त्री-पुरूष अनुपात 919 है जबकि राज्य में यह 969 है. विगत जनगणना की तुलना में राज्य के इस अनुपात में 6 अंको की कमी हुई है. इस क्षेत्र में राज्य का देश में चौथा स्थान हैं. स्त्री-पुरूष अनुपात सर्वाधिक कबीरधाम जिले में बढ़ा है तथा जशपुर, राजनांदगांव, रायपुर और उत्तर बस्तर कांकेर में भी अल्प वृद्धि दर्ज की गई है.
जनगणना 2011 में देश में साक्षरता दर 72.99 प्रतिशत और राज्य की साक्षरता दर 70.28 प्रतिशत है, जबकि विगत जनगणना में राज्य की साक्षरता दर 64.66 प्रतिशत थी. इस जनगणना में साक्षरता के मामले में राज्य का देश में 28 वां स्थान है. दुर्ग (79.06%) राज्य का सर्वाधिक साक्षर जिला है, जबकि सबसे कम साक्षरता बीजापुर (40.86%) में है. राज्य के 80.27 प्रतिशत पुरूष तथा
60.24 प्रतिशत महिलाएं साक्षर है.
2001-2011 के दौरान राज्य के पुरूष साक्षरता दर में 2.89 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि स्त्री साक्षरता दर में 8.39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई. पुरूष साक्षरता में दुर्ग (87.82%) का प्रथम स्थान है. बीजापुर (50.46%) में पुरूष साक्षरता सबसे कम है. स्त्री साक्षरता में भी दुर्ग (70.23%) जिले का प्रथम स्थान है. जनगणना 2011 के अनुसार, राज्य में कार्य सहभागिता दर 47.68 प्रतिशत है. यह जनगणना 2001 के 46.46 प्रतिशत की तुलना में 1.22 प्रतिशत अंक अधिक है. देश में इस राज्य का पांचवां स्थान हैं. महिला कार्य सहभागिता दर 39.69 प्रतिशत है जो जनगणना 2001 के 40.04 प्रतिशत की तुलना में 0.35 प्रतिशत कम है. इसके बावजूद, महिला कार्य सहभागिता दर के संदर्भ में राज्य का देश में तीसरा स्थान है.
राज्य के कुल कर्मियों (12180225) में मुख्य दीर्घकालिक कर्मियों की जनसंख्या का प्रतिशत 67.66 हैं जबकि यह 2001 जनगणना में 72.88 प्रतिशत था. राज्य में अल्पकालिक कर्मियों की जनसंख्या प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है. जनगणना 2011 के अनुसार अल्पकालिक कर्मियों की जनसंख्या का प्रतिशत 32.34 है जबकि जनगणना 2001 में यह 27.12 प्रतिशत था.
कुल कार्मिकों में काश्तकार की जनसंख्या का प्रतिशत 32.88 है, खेतिहर मजदूर की जनसंख्या का प्रतिशत 41.80, पारिवारिक उद्योग कर्मी की जनसंख्या का प्रतिशत 1.54 और अन्य कर्मियों की जनसंख्या का प्रतिशत 23.78 है. जबकि जनगणना 2001 के अनुसार कुल कार्मिकों में काश्तकार की जनसंख्या का प्रतिशत 44.54, खेतिहर मजदूर की जनसंख्या का प्रतिशत 31.94, पारिवारिक उद्योग कर्मी की जनसंख्या का प्रतिशत 2.05 और अन्य कर्मी की जनसंख्या का प्रतिशत 21.47 था.