मालखाने के नोट को नकली समझा गया
बिलासपुर | संवाददाता: तोरवा थाने के 1984 के पुराने नोटों को पहले बैंक ने नकली बताकर जमा करने से इंकार कर दिया था. बिलासपुर के तितली चौक स्थित स्टेट बैंक में तोरवा थाने के पुराने नोटों को जमा कराने गये मालखाने के इंचार्ज धर्मेन्द्र यादव को इस स्थिति का सामना करना पड़ा. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के 6 थानों नें बैंकों में अपने मालखाने के पुराने नोट जमा कराये हैं. बिलासपुर के सिविल लाइन, तारबहार, तोरवा, सिटी कोतवाली, सरकण्डा तथा कोनी थानों ने कोर्ट के आदेश के बाद बैंकों में रुपये जमा कराये हैं.
इनमें से सिविल लाइन थाने ने 20 लाख रुपये, सिटी कोतवाली थाने ने 13.40 लाख रुपये, कोनी थाने ने 10 लाख रुपये, सरकण्डा थाने ने 9.97 लाख रुपये, तोरवा थाने ने 3.50 लाख रुपये तथा तारबहार थाने ने 3 लाख रुपये जमा कराये हैं. गौरतलब है कि 500 और 1000 के पुराने नोटों तो जमा कराने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर है.
उल्लेखनीय है पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर थाने प्रभारी मालखाने में जमा 500 और 1000 के नोट लेकर अदालत में उपस्थित हुये थे. उसके बाद अदालत ने उन्हें ताना प्रभारियों के नाम से बैंक अकाउंट खोलकर उसकें रुपये जमा कराने के निर्देश दिये हैं.
अब तक बिलासपुर के 6 थानों द्वारा 60 लाख रुपये जमा कराये जा चुके हैं. बताया जा रहा है कि अभी भी पुलिस थानों के मालखानों में लाखों रुपयों के पुराने नोट जमा हैं जिन्हें सूची बनाने के बाद बैंकों में जमा कराया जायेगा.
तोरवा थाने का मालखाना इंचार्ज सन् 1984 के 500 और 100 रुपयों के 13,500 नोट जमा कराने जब बैंक पहुंचा तो बैंक अधिकारी ने उन्हें नकली बताकर लेने से इंकार कर दिया. उसके बाद मुख्य ब्रांच के कहने पर थाना प्रभारी उन नोटों को लेकर व्यापार विहार स्थित बैंक के अधिकारी से लिखाकर लाया गया. उसके बाद उसे जमा कराया गया.