कोरबाबिलासपुर

छत्तीसगढ़: भारत माता मंदिर

कोरबा | अब्दुल असलम: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा ब्लॉक में प्रदेश का इकलौता ऐसा मंदिर है जिसका दरवाजा स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस को पूजा के लिए खुलता है. यह मंदिर है भारत माता का. लेकिन मंदिर दिन ब दिन उपेक्षा का शिकार होती जा रही है. इस मंदिर की याद यहां के लोगो को साल में महज दो दिन ही आती है यही वजह है कि मंदिर की हालत साल दर साल बदत्तर होती जा रही है.

छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी कोरबा से महज 30 किलोमीटर दूर कटघोरा ब्लॉक स्थित है. यहां भारत माता का मंदिर स्थित है. छत्तीसगढ़ प्रदेश में यह इकलौता मंदिर है जहां भारत माता की पूजा होती है. कार्यक्रम में कटघोरा क्षेत्र के गणमान्य नागरिक और जनप्रतिनिधि शामिल होते हैं. यह परंपरा 63 साल से चल रही है. स्थानीय निवासी जागेश्वर सिंह मानसर की बताते है की 1952 में कटघोरा तहसील में पदस्थ तहसीलदार आर एस ठाकुर ने स्थानीय शिक्षिकों की मदद से जमीन पर भारत माता का स्क्रेच बनवाया. इसके बाद गणतंत्र दिवस को पूजा का आयोजन किया गया. इसमें क्षेत्र के स्कूलों के शिक्षक समेत छात्र शामिल हुए थे. इसके बाद यह परंपरा हर साल शुरू हो गई. बाद में इस स्थान पर मंदिर का बनाया गया. अब हर साल यहां गणतंत्र दिवस व स्वाधिनता दिवस के मौके पर यहां भारत माता की पूजा की जाती है.

साल भर इस मंदिर में ताला लगा रहता है और स्वाधीनता दिवस याने 15 अगस्त व गणतंत्र दिवस को यहां भारत माता की पूजा की जाती है. पहले लोग व्यक्तिगत या सार्वजनिक रूप से मिलकर कार्यक्रम आयोजित करते थे. अब नगर पंचायत यह जिम्मेदारी उठाती है. कटघोरा के रामलाल ने माने तो 1952 में वर्तमान में मंदिर वाले स्थान पर भारत माता का स्केच बनाया गया था. स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के दिन यहां पूजा होती थी. इसके बाद साल भर स्केच को मिट्टी से ढंक दिया जाता था. बाद में इस स्थान को मंदिर के रूप में सुरक्षित बना दिया गया.

गौरतलब है कि देश में भगवान के मंदिर तो जगह-जगह हैं पर भारत माता मंदिर चुनिंदा स्थानों में है. बनारस में सबसे पुराना भारत माता मंदिर स्थित है. जिसे 1936 में बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने बनवाया था. इसका शुभारंभ महात्मा गांधी ने किया था. वहीं हरिद्वार के सप्त सरोवर में भारत माता का भव्य मंदिर स्थित है. जिसे 15 मई 1983 में स्वामी सत्यामित्रानंद गिरी ने बनवाया.लेकिन मंदिर के रखरखाव का ध्यान नहीं रखने से मंदिर उपेक्षित होने लगा है.

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