कनाडाई युवक नक्सली चंगुल में
रायपुर | संवाददाता: बस्तर के सिंगामडगू गांव से लापता कनाडाई नक्सलियों के चंगुल में है. इस बात की जानकारी पत्तासाजी करने निकले फोर्स को गांव वालों ने दी है. गांव वालों का कहना है कि कनाडाई युवक जॉन श्लैजेक के साथ किसी तरह की मारपीट नहीं की गई है तथा उसे जनमिलिशिया की निगरानी में रखा गया है. वहीं, सुकमा के पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा का कहना है कि जॉन को बंधक नहीं बनाया गया है.
कनाडाई युवक जॉन के दो दिन से लापता होने के बीच खुलासा हुआ है कि वह मुंबई से साइकिलिंग की शुरुआत करने के बाद जब वह बस्तर पहुंचा, तो उसने इसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी थी.
वह किस रास्ते से सुकमा गया, क्यों गया और उसके पास बस्तर घूमने का वीजा है या नहीं, इसकी जानकारी दूसरे दिन तक पुलिस को नहीं मिली. बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि जॉन ने अपने आने की खबर किसी भी थाने में दर्ज नहीं कराई है.
फॉरेन रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत सभी विदेशियों को स्थानीय थाने में आमद दर्ज करवानी होती है, लेकिन जॉन ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कहा कि जॉन के संबंध में अलग-अलग एंबेसी के जरिये जानकारी निकाली जा रही है.
सूत्रों की मानें, तो जॉन पहले भी बस्तर आ चुका है और वह कई एनजीओ से भी जुड़ा है. बस्तर में वह रिसर्च के लिये पहुंचा है.
उधर, कनाडाई उच्चायोग का कहना है कि उन्हें जॉन के लापता होने की खबर है. इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ओडीशा सरकार से इस कथित अपहरण के पूरे मामले की रिपोर्ट भी मांगी थी.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के सुकमा से एक कनाडाई सामाजिक कार्यकर्ता लापता है. बताया जा रहा है कि वह कनाडाई नागरिक दो दिनों पहले बस्तर पहुंचा था. किष्टाराम थाने से करीब 15 किलोमीटर दूर सिंगामडगू गांव में उसे अंतिम बार देखा गया था.
पुलिस फोर्स को अलर्ट कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि जॉन कनाडा की एक संस्था इमिग्रेशन रेफ्यूजी सिटीजनशिप के मेंबर हैं. वे मुंबई से बस्तर पहुंचे हैं. अभी तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि वे सुकमा क्यों गये तथा उनके संपर्क सूत्र कौन हैं.
इधर कुछ लोगों ने आशंका जताई है कि जॉन खुद ही बस्तर के सुदूर इलाके में गये हैं और उन इलाकों में नेटवर्क नहीं होने के कारण उनके गायब होने की आशंका जताई जा रही है.