छत्तीसगढ़: बैंकिंग, बीमा की हड़ताल
रायपुर | संवाददाता: सरकारी बैंकों और जीवन बीमा कंपनियों के कर्मचारी बुधवार को हड़ताल पर हैं. छत्तीसगढ़ के बीमा यूनियन के नेता धर्मराज महापात्र ने कहा कि केंद्र सरकार की मजदूर संगठन विरोधी और श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में यह हड़ताल आहूत की गई है. उन्होंने कहा, “मजदूर विरोधी और मजदूर संगठन विरोधी नीतियों का विरोध करने के लिए यह हड़ताल की जा रही है.” वहीं, छत्तीसगढ़ बैंक एम्पलाईज एसोसियेशन ने भी हड़ताल पर होने की जानकारी दी है.
भिलाई स्टील प्लांट के बाहर भी बुधवार सुबह से कर्मचारी नेता हाथ में झंडे लेकर नारे लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार की श्रम नीतियों को लेकर कांग्रेस व वाम समर्थित ट्रेड यूनियनों ने एक दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया है. भाजपा समर्थित भामसं इस हड़ताल में शामिल नहीं है.
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि यह हड़ताल मौजूदा केन्द्र सरकार की मजदूर विरोधी, जनविरोधी और कॉर्पोरेट पक्षीय नीतियों के विरोध में की जा रही है.
इंटक के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह, एटक के प्रदेश अध्यक्ष हरनाथ सिंह, सीटू के प्रदेश महासचिव अजीत लाल, धर्मराज महापात्र, एचएमएस के कार्यकारी अध्यक्ष एसएस मिश्रा, सीजेडआईईए के सचिव बी. सान्याल, ऐक्टू के समन्वय समिति नेतागण दिनेश पटेल, मानिकराम, आशुतोष व रविशंकर सहित अन्य ने एक संयुक्त बयान जारी कर बताया कि केन्द्र सरकार हड़ताल के दबाव में मजदूरों से बात करने के लिए बाध्य हुई, लेकिन इस बातचीत में भी उसने मजदूरों की मांगों पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया. इसी वजह से विवश होकर यह हड़ताल करना पड़ रहा है.
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार रेलवे, रक्षा, बीमा और वित्तीय क्षेत्र में तेजी से प्रत्यक्ष और असीमित विदेशी पूंजी निवेश लाने की कोशिश कर रही है. श्रम कानूनों में अंधाधुन परिवर्तन किया जा रहा है.
वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा के श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ ने खुद को इस हड़ताल से अलग कर लिया है. बीएमएस नेताओं के अनुसार केन्द्र सरकार ने 6-7 मांगों पर सहमति दे दी है, बाकी मांगों पर भी अगली बैठक में विचार करने का अश्वासन दिया है. बीएमएस के प्रवक्ता जगजीत सिंह वालिया ने कहा कि सरकार के सकारात्मक रुख को देखते हुए हमने हड़ताल में शामिल नहीं होने का फैसला किया है.