रायपुर

बैगा जनजाति आज भी आदिम

रायपुर | एजेंसी: आजादी के छह दशक गुजरने के बाद भी देश की संरक्षित बैगा जनजाति को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है. असलियत में बैगाओं का जनजीवन आज भी आदिम ही है. छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के बोड़ला और पंडरिया ब्लॉक के वनांचल क्षेत्र में बैगा जनजाति के हजारों परिवार बसते हैं. यह जनजाति आज केवल कहने को ही संरक्षित है. हां, शहर से जुड़े कुछ बैगा गांवों में जरूर बदलाव दिखता है.

जिले में वर्ष 2005-06 में बेसलाइन सर्वेक्षण कराया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 268 बैगा ग्रामों में लगभग 36123 बैगा हैं. इन बैगा जनजातियों के लिए गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि आज भी लगभग 70 फीसदी बैगा जनजाति के लोग नदी, नाले और झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं.

रात अंधेरे में गुजारना बैगाओं की मजबूरी है. केवल दिन में रोशनी नसीब हो रही है. पहाड़ियों व पगडंडियों पर चलना ही इनका जीवन है.

इधर इन्हें मनरेगा में काम मिला, पर सालभर बाद भी मजदूरी के लिए भटकना पड़ रहा है. बैगाओं के उत्थान के लिए भले ही शासन-प्रशासन के पास दर्जनों योजनाएं हैं, करोड़ों रुपये भी खर्च हो रहे हैं, लेकिन इनसे बैगाओं का जरा भी भला नहीं हो पा रहा है.

ग्राम कुरलूपानी कोर्राटोला में बैगाओं के लिए हैंडपंप ही नहीं है. बैगा परिवार चार किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं. गांव दिवानपटपर में भी हैंडपंप नहीं है. यहां के बैगा परिवार नाले का पानी पीकर गुजारा करने को मजबूर हैं.

ग्राम करहालुपारा में हैंडपंप है, लेकिन पिछले तीन साल से यह खराब पड़ा है. मजबूर बैगा परिवार नाले का पानी पीकर गुजारा कर रहे हैं. यही हाल बिरहूलडीह का है, जहां तीन हैंडपंप पिछले तीन माह से बंद पड़े हैं. इसके अभाव में बैगा झिरिया व नाले का पानी पीने मजबूर हैं.

साफ पीने के पानी को तरसते बैगा जनजाति के लोगों को मेहनत की कमाई पाने में भी दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं. बताया जाता है कि पंडरिया ब्लॉक के ग्राम पंचायत बिरहुलडीह में बैगाओं को मनरेगा के तहत काम करने के एक वर्ष बाद भी मजदूरी नहीं दी गई है. ग्राम करहालुपारा के 150 ग्रामीण ने पिछले वर्ष जनवरी में 10 लाख की लागत से बनाए जाने वाले तालाब में काम किया. कुल सात सप्ताह तक काम करने के बाद भी केवल एक सप्ताह की मजदूरी दी गई. प्रत्येक ग्रामीण का करीब 4.4 हजार रुपये आज तक नहीं मिल पाया है.

इसी के आश्रित ग्राम लिझड़ी में भी 9.99 लाख का तालाब निर्माण कराया गया. इसमें 40 मजदूरों ने कार्य किया. इसमें सात सप्ताह की मजदूरी आज भी बाकी है. ग्राम पंचायत तेलियपानी के आश्रित ग्राम लेदरा में 100 से अधिक बैगा जनजातीय परिवार है. इसमें 17 बैगा महिलाओं को विधवा पेंशन नहीं दिया जा रहा है. ब्लॉक मुख्यालय में शिकायती आवेदन भी दिया गया, लेकिन पेंशन अब तक नहीं पहुंच पाई है.

बैगाओं की समस्याएं बताने पर पंडरिया के एसडीएम दुर्गेश वर्मा ने कहा, “मुझे आपसे समस्याओं की जानकारी मिली है. मैं पता करवाता हूं. ग्रामीणों की समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा.”

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