छत्तीसगढ़: वन्यजीवों की गिनती शुरू
बिलासपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में फेस-4 मानिटरिंग के तहत एक जून से दूसरे चरण की वन्यप्राणी गणना शुरू हो गई है. छह दिनों तक चलने वाली इस गणना के तहत बाघ व अन्य वन्यप्राणियों की संख्या का आकलन किया जाएगा. गणना की रपट राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को भेजी जाएगी. प्राधिकरण से जारी गाइडलाइन के तहत देश के प्रत्येक टाइगर रिजर्व में साल में दो बार वन्यप्राणियों की गणना करनी है.
Thirsty Tiger Reserve Achanakmar, Chhattisgarh
प्रथम चरण शरद ऋतु में और द्वितीय चरण ग्रीष्म ऋतु में करने का नियम है. अचानकमार में प्रथम चरण की गणना हो चुकी है. एक जून से दूसरे चरण की गणना शुरू हुई है. टाइगर रिजर्व के अंदर प्रत्येक बीट पर 2-2 किमी की ट्रांजिट लाइन बनाई गई है. प्रथम तीन दिन अधिकारी व कर्मचारी इसी लाइन पर चलकर वन्यप्राणियों की आवाज, मल-मूत्र, पेड़ों में खरोंच, कील आदि के माध्यम से गणना करेंगे.
गाइडलाइन के अनुसार, इस लाइन को 400 मीटर, 800 मीटर, 1200 मीटर व 1600 मीटर और 2000 मीटर में बांटकर प्रत्येक बिंदु की जीपीएस रीडिंग ली जाएगी. वापसी में इसी लाइन से लौटते समय वनस्पति की गणना करेंगे. चौथे दिन से ट्रेल में चलकर मांसाहारी वन्यप्राणियों का आकलन किया जाएगा. जिसके तहत प्रपत्र-1 में बाघ/ तेंदुआ व अन्य मांसभक्षियों के चिन्हों का सर्वेक्षण किया जाएगा.
ट्रेल भी ट्रांजिट की तरह एक लाइन है जिसे नदी, नाले व बाध के किनारे बनाई जाती है. जबकि ट्रांजिट लाइन वनक्षेत्र के अंदर बनती है. यह कार्यक्रम प्राधिकरण के निदेशरें के अनुरूप होने के कारण सभी को गणना में गंभीरता बरतने के लिए कहा गया. इस दौरान किसी तरह की लापरवाही नहीं करने की सख्त हिदायत भी दी गई है. गणना का समय सुबह 6 बजे सुबह 10 बजे तक निर्धारित है.
गाइडलाइन में कहा गया है कि एक जून से टाइगर रिजर्व में गणना के साथ- साथ स्वच्छता अभियान की शुरुआत भी की गई है. 15 दिनी इस अभियान के दौरान टाइगर रिजर्व के अंदर व बाहर के कचरे साफ किए जाएंगे. प्रबंधन इस अभियान को सफल बनाने के लिए बच्चे, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, नेचर क्लब, शिक्षण संस्था का भी सहयोग लेगा. पांच जून विश्व वानिकी दिवस पर वृहद स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
स्वच्छता अभियान के दौरान टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा पर्यटकों के लिए एक नई सुविधा की शुरूआत की जा रही है. इसके तहत शिवतराई स्थित इकोटूरिज्म केंद्र में उन्हें वन्यप्राणियों से जुड़ी करीब एक घंटे की लघु फिल्म दिखाई जाएगी. यह व्यवस्था सप्ताह में तीन दिन शुक्रवार, शनिवार व रविवार को होगी.
अचानकमार वन्य जीवन अभयारण्य-
अचानकमार वन्य जीवन अभयारण्य छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित एक वन्य जीवन अभयारण्य है. अचानकमार वन्य जीवन अभयारण्य को 1975 में तैयार किया गया था. इस अभयारण्य में वैसे तो विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु पाए जाते हैं, किंतु यहाँ बाघों की संख्या सर्वाधिक है.
अचानकमार वन्य जीवन अभयारण्य 557.55 वर्ग किलो मीटर के क्षेत्रफल में फैला है.
बिलासपुर वन प्रभाग का उत्तर पश्चिमी वन विकास खण्ड, अचानकमार वन्य जीवन अभयारण्य भारत का एक समृद्ध अभयारण्य है.
अचानकमार वन्य जीवन अभयारण्य में अनेक प्रकार के वन्य जंतु जैसे चीतल, जंगली भालू, तेंदुआ, बाघ, चीते, पट्टीदार हाइना, केनिस ओरियस भेडिया, स्लॉथ बीयर, मेलुरसस, अर्सीनस, भारतीय जंगली कुत्ते, कोऑन, अलपिन्स, चीतल, चार सींग वाले एंटीलॉप, नील गाय, बोसेलाफस, ट्रेगोकेमेलस, चिंकारा, ब्लैक बक, जंगली सूअर और अन्य अनेक पाए जाते हैं.
पहले ही दो गुने हो चुके हैं बाघ-
छत्तीसगढ़ में बाघों की तादाद अब लगभग दोगुनी हो गई है. वन्यजीवों की गिनती के ताजा आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के जंगलों में 46 बाघ पाए गए हैं, जबकि 2010 से पहले यह संख्या 26 पर टिकी हुई थी. बाघों की गिनती के लिए प्रदेश में अचानकमार के साथ ही इंद्रावती और उदंती सीतानदी अभयारण्य को चुना गया था.
Tiger sightingt at Achanakmar-
छत्तीसगढ़ में बाघों की स्थिति
2006 में 26 बाघ
2010 में 26 बाघ
2014 में 46 बाघ