छत्तीसगढ़राष्ट्र

महानदी के बैराज अवैध- ओडिशा

रायपुर | संवाददाता: ओडिशा ने छत्तीसगढ़ में महानदी पर बने सभी बैराज को अवैध कहा है. ओडिशा के मुख्य सचिव ने एक बयान जारी करके कहा है कि छत्तीसगढ़ द्वारा महानदी पर बनाये जा रहे बैराज अवैध हैं, उन्हें रोका जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ने बैराज की जानकारी ओडिशा को नहीं दी है.

छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर कहा कि छोटे बैराज बनाने के लिये केन्द्र सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती है. केन्द्र की अनुमति केवल बड़े बांधों के लिये लेनी होती है. उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ ने एकमात्र बन रहे बड़े बांध अरपा-भैंसाझार के लिये केन्द्रीय जल आयोग से अनुमति ली है.

ओडिशा के बीजू जनता दल का कहना है कि छत्तीसगढ़ महानदी पर इतने बैराज बना रहा है कि उनके लिये पानी ही नहीं बचेगा. बीजू जनता दल का कहना है कि ओडिशा के हीराकुंड बांध में बरसात के सीजन में महानदी से पानी आता है. जो छत्तीसगढ़ में नये बैराज बनाने से कम हो जायेगा. छत्तीसगढ़ को बड़े बैराज का आकार छोटा करना चाहिये.

छत्तीसगढ़ के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि हम महानदी से केवल 25 फीसदी पानी लेते हैं बाकी का पानी ओडिशा चला जाता है. उन्होंने कहा कि ओडिशा का जल प्रबंधन सही नहीं होने के कारण वहां का पानी समुद्र में चला जाता है.

उल्लेखनीय है कि हीराकुंड बांध का पानी ओडिशा के राजधानी भुवनेश्वर तथा कटक में सप्लाई किया जाता है. ओडिशा का कहना है कि अगर बांध में पानी नहीं आयेगा तो दोनों शहर सूख जायेंगे.

इससे पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने संवाददाताओं से कहा था, “महानदी नदी के पानी के बंटवारे के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह बयान सह-बेसिन राज्यों व हमारी संघीय सरकार के बीच अंतर-राज्यीय पानी के बंटवारे को लेकर आधारभूत सिद्धांतों का उल्लंघन है.”

उन्होंने कहा था, “महानदी हमारे राज्य की जीवनरेखा है. छत्तीसगढ़ के एकपक्षीय व जबरदस्ती की कार्रवाई से हम महानदी को सुखाने की अनुमति नहीं देंगे.”

जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि महानदी के जल ग्रहण के केवल 25 फीसदी पानी का ही राज्य ने उपयोग किया है. हीराकुंड बांध का औसत बहाव 40 हजार एमसीएम है जिसमें छत्तीसगढ़ का योगदान 35 हजार एमसीएम है जबकि उससे राज्य केवल 9 हजार एमसीएम पानी ही लेता है.

महानदी
यह छत्तीसगढ़ तथा उड़ीसा अंचल की सबसे बड़ी नदी है. प्राचीनकाल में महानदी का नाम चित्रोत्पला था. महानन्दा एवं नीलोत्पला भी महानदी के ही नाम हैं. महानदी का उद्गम रायपुर के समीप धमतरी जिले में स्थित सिहावा नामक पर्वत श्रेणी से हुआ है. महानदी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की तरफ है.

सिहावा से निकलकर राजिम में यह जब पैरी और सोढुल नदियों के जल को ग्रहण करती है तब तक विशाल रुप धारण कर चुकी होती है. ऐतिहासिक नगरी आरंग और उसके बाद सिरपुर में वह विकसित होकर शिवरीनारायण में अपने नाम के अनुरुप महानदी बन जाती है. महानदी की धारा इस धार्मिक स्थल से मुड़ जाती है और दक्षिण से उत्तर के बजाय यह पूर्व दिशा में बहने लगती है.

संबलपुर में जिले में प्रवेश लेकर महानदी छ्त्तीसगढ़ से बिदा ले लेती है. अपनी पूरी यात्रा का आधे से अधिक भाग वह छत्तीसगढ़ में बिताती है. सिहावा से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरने तक महानदी लगभग 855 कि॰मी॰ की दूरी तय करती है. छत्तीसगढ़ में महानदी के तट पर धमतरी, कांकेर, चारामा, राजिम, चम्पारण, आरंग, सिरपुर, शिवरी नारायण और उड़ीसा में सम्बलपुर, बलांगीर, कटक आदि स्थान हैं.

0 thoughts on “महानदी के बैराज अवैध- ओडिशा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!