पुलिस है नक्सलियों की नर्सरी- जोगी
रायपुर | समाचार डेस्क: अजीत जोगी ने पुलिस को नक्सलियों की नर्सरी करार दिया है. छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा है कि जिस प्रकार से बस्तर में निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर मारा जा रहा है, उससे नक्सलवाद समाप्त होने के स्थान पर बढ़ता ही जायेगा. जिस परिवार का निर्दोष आदिवासी फर्जी मुठभेड़ में मारा जाता है, उस परिवार के अन्य लोग जैसे भाई, पिता, चाचा, मामा, भतीजा इत्यादि में से कोई न कोई रूष्ट होकर उस निर्दोष आदिवासी की हत्या का बदला लेने के लिये उसकी माओवाद की तरफ स्वभाविक रूप से जुड़ने की संभावना होती है.
प्रेस को जारी एक बयान में अजीत जोगी ने कहा है कि इसी प्रकार जो बड़ी संख्या में तथाकथित नक्सलियों का समर्पण कराया जा रहा है उसमें भी अधिकांश ऐसे लोग होते है जिनका नक्सलियों या नक्सलवाद से कोई संबंध नहीं होता. केवल संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर बताने और श्रेय लेने के लिये ऐसे निर्दोष लोगों से भी समर्पण का नाटक रचा जाता है. बाद में जब ऐसे निर्दोष आदिवासी अपने गांव वापस जाते हैं तो उन्हें नक्सलियों के क्रोध का सामना करना पड़ता है और यह जवाब देना पड़ता है कि नक्सली नहीं होते हुये भी उन्होंने क्यों समर्पण किया.
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा है कि मेरी जानकारी के अनुसार ऐसे कुछ लोगों और उनके रिश्तेदारों को नक्सलियों की हिंसा का शिकार भी होना पड़ा है. इस प्रकार निर्दोष आदिवासियों को बेवजह नक्सली बनाकर समर्पण कराने से भी बाद में उनके एवं उनके परिवार के लोगों को नक्सलवाद की तरफ झुकना आवश्यक हो जाता है.
बस्तर में हाल ही में हुये एनकाउंटर का उदाहरण देते हुये अजीत जोगी ने कहा इस प्रकरण में बारसूर निवासी सुकालूराम अपनी बुआ के घर ग्राम सेवगल, बुरधुम थाना कोडानार बस्तानार में शोक समाचार देने गया था. सुबह 4 बजे सर्चिंग के दौरान पुलिस सोमड़ू के घर पहुंची जो सुकालूराम के बुआ का लड़का है. बिना उचित जांच पड़ताल किये ही पुलिस ने सोमड़ू और सुकालू दोनों को घर के बाहर घसीटकर मार डाला. अजीत जोगी ने प्रश्न किया है क्या सोमड़ू और सुकालू के परिवार के लोग पुलिस या प्रशासन से कभी भी कोई सहानुभूति रखेंगे? उल्टा वे नक्सलवाद की ओर बढ़ने के लिये प्रेरित होंगे.
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अजीत जोगी ने जोगी ने मांग की है कि ऐसे निर्दोष लोगों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या किया जाना बंद हो. निर्दोष लोगों को जानबूझकर समर्पण कराना भी बंद हो. ऐसा न करने पर नक्सली कम नहीं होकर बढ़ते ही जायेंगे.