छत्तीसगढ़: नन रेप के आरोपी रिहा
रायपुर | संवाददाता: लचर जांच के चलते नन रेप कांड के आरोपी रिहा हो गये. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के चर्चित नन रेप कांड के इन आरोपियों को रिहा करते हुये अदालत ने पुलिस की विवेचना को लेकर गंभीर टिप्पणी की. न्यायाधीश निधि शर्मा तिवारी ने कहा कि पुलिस की उदासीन तथा लचर जांच तथा अत्यंत संवेदनशील तथा गंभीर मामले में सतही विवेचना की गई है. 2015 के इस मामले की सुनवाई निधि शर्मा तिवारी की फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में नन रेप कांड में रिहाई दी है. हालांकि अदालत ने पूरे मामले में पुलिस की विवेचना पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं.
न्यायधीश निधि शर्मा तिवारी ने अपने फैसले में कहा है- उपरोक्त साक्ष्य विवेचना के हिसाब से तथाकथित अपराध नकाबपोश व्यक्तियों द्वारा रात के करीब 2 बजे कारित किया गया. अभियुक्त की पहचान स्थापित करने बाबत् कोई भी पहचान कायर्वाही भी प्रकरण में नहीं करवाई गई है. अभियुक्त को तथाकथित अपराध में संलिप्त करने का एक मात्र आधार न्यायिकेत्तर संस्वीकृति को होना बताया गया है. परन्तु उक्त न्यायिकेत्तर संस्वीकृति को स्थापित विधिक मापदंडों के अनुरूप विश्वनीय रूप से प्रमाणित करने में अभियोजन असफल रहा है. साथ ही न्यायिकेत्तर संस्वीकृति के समर्थन में अन्य कोई भी विश्वसनीय साक्ष्य प्रकरण में प्रमाणित नहीं हो सका है. ‘प्रकरण में विवेचनाकर्ता द्वारा निम्नस्तरीय विवेचना किये जाने के कारण’ अभियोजन अभियुक्तगण के विरुद्ध आरोपित अपराध प्रमाणइत करने में पूर्णतः असफल होना प्रमाणित होता है.
गौरतलब है कि राजधानी रायपुर के पंडरी थाना इलाके में क्रिश्चियन मिशनरी द्वारा एक मेडिकल सेंटर चलाया जाता है. 19 जून 2015 की रात में अपनी ड्यूटी करके पीड़िता नन वहीं सो गई थी. आरोप है कि देर रात दो लोगों ने कमरे में प्रवेश किया और वहां रहने वाली 46 वर्षीय नन के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया. सुबह इस घटना की जानकारी मेडिकल सेंटर में रहने वाली दूसरी महिलाओं को हुई और उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी.
इसके बाद राज्य भर में इस मुद्दे पर धरना-प्रदर्शन हुआ और पुलिस ने कम से कम 200 लोगों को हिरासत में ले कर उनसे पूछताछ की. बाद में पुलिस ने दिनेश ध्रुव 19 साल और 25 साल के जितेंद्र पाठक को नन रेप के आरोप में गिरफ्तार किया था.
मंगलवार को इस मामले में अदालत ने पर्याप्त सबूत के अभाव में धारा 450, 34, 328, 323 तथा धारा 376 (घ) के तहत आरोपियों दिनेश उर्फ दीनू और जितेन्द्र पाठक उर्फ छोटू को आरोपों से दोषमुक्त कर दिया.
हालांकि अदालत ने पुलिस विवेचना को लेकर सवाल उठाते हुये कहा कि अत्यंत गंभीर प्रकृति का अपराध होने के बावजूद उसे प्रमाणित करने के लिए विश्वसनीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया. अदालत ने यह भी कहा कि प्रकरण में अत्यंत संवेदनशील और गंभीर अपराध की सतही और लचर विवेचना किया जाना स्पष्टत: दर्शित है, जो कि विवेचनाकर्ता की घोर लापरवाही और उदासीनता का द्योतक है.
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