बिलासपुर

छत्तीसगढ़ में 12 शिशुओं की मौत

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में 5 दिनों में 12 शिशुओं की मौत हो गई है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स में पिछले 5 दिनों में 12 नवजात बच्चों की मौत हो गई है. परिजनों का आरोप है कि शिशु वार्ड के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में संक्रमण की वजह से नवजात बच्चों की मौत हुई है, वहीं चिकित्सकों ने वहां किसी भी तरह के संक्रमण से इंकार किया है.

सिम्स के उपाधीक्षक डॉक्टर लखन सिंह ने बीबीसी को कहा, “छोटे अस्पतालों से गंभीर हालत में लाए गए बच्चों को बचाने के लिए हम हरसंभव कोशिश करते हैं.” वहीं, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्यमंत्री अमर अग्रवाल ने कहा, “बच्चों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन जो शुरुआती जानकारी मिली है, उसके अनुसार सिम्स लाए गए अधिकांश बच्चों की तबीयत पहले से बहुत गंभीर थी.”

उल्लेखनीय है कि तमाम दावे और कोशिशों के बाद भी छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्युदर में कमी नहीं आ रही है. राष्ट्रीय औसत के मुकाबले अभी भी छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर अधिक है. भारत के जनगणना आयुक्त द्वारा जारी एस आर एस बुलेटिन 2012 के अनुसार प्रति 1000 जीवित जन्म पर शिशु मृत्यु दर छत्तीसगढ़ में 48 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 44 का है.

भारत सरकार के इन आंकड़ों के अनुसार देश भर में शिशु मृत्युदर रोकने के लिये 34 राज्यों में छत्तीसगढ़ 26 वें पायदान पर है या कह सकते हैं कि शिशु मृत्युदर रोकने में छत्तीसगढ़ अंतिम 6 में है.

गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले जनगणना विभाग द्वारा यह सर्वेक्षण किया गया है. आंकड़े 2011 में किये गये सर्वे पर आधारित हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय स्तर पर 48 है, जो छत्तीसगढ़ में 49 है. वहीं शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा अत्यंत भयावह है. शहरी क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय स्तर पर केवल 29 है, जबकि छत्तीसगढ़ में यह 41 है. यानी छत्तीसगढ़ के शहरों में तमाम स्वास्थ्य सुविधायें होने के बाद भी शिशुओं की अधिक मौत हो रही है. शहरो में चिकित्सा सुविधा गांवों की तुलना में बेहतर होने के बावजूद छत्तीसगढ़ के शहरो का पिछड़ापन हैरान कर देने वाला है.

इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु दर 7.1 है जो छत्तीसगढ़ में बढ़कर 7.9 हो गया है. मृत्यु दर शहरो में 7.6 है तथा गॉवों में 5.7 है, जो छत्तीसगढ़ में 8.3 एवं 6.1 का है. छत्तीसगढ़ शासन ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा नवा जतन योजना शुरु की है. जिसके तहत बच्चो को कुपोषण से बचाने का कार्यक्रम लिया गया है. लेकिन आंकड़ों की भयावहता बताती है कि राज्य का महिला एवं बाल विकास विभाग इस मामले में बेहद लचर है.

यहां यह जानना भी दिलचस्प है कि छत्तीसगढ़ के साथ अस्तित्व में आये झारखंड एवं उत्तराखंड की स्थिति भी छत्तीसगढ़ से बेहतर है. उत्तराखंड में शिशु मृत्यु दर 36 तथा झारखंड में 39 है. छत्तीसगढ़ के 48 की तुलना में ये आंकड़े राहत देने वाले हो सकते हैं.

शिशु मृत्यु दर एक स्वास्थ्य सूचकांक है. जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किये गये कई सूचकांको में से एक है. जब भी किसी देश या क्षेत्र के विकास की समीक्षा की जाती है तो इन सूचकांको के आधार पर ही की जाती है. भारत सरकार प्रदेशों की समीक्षा करने के लिये समय-समय पर ऐसे सर्वेक्षण करवाती रहती है. इस बार एस आर एस बुलेटिन जब जारी किया गया तो छत्तीसगढ़ सरकार अपनी विकास यात्रा में व्यस्त थी. जाहिर है कि यदि इसी तरह से छत्तीसगढ़ में शिशुओं की मौते होती रही तो राज्य में शिशु मृत्यु दर में कमी आने के बजाये वह बढ़ती ही जायेगी.

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