पूर्व नक्सली बनेंगे पुलिस के ड्राइवर
राजनांदगांव | एजेंसी: कभी छत्तीसगढ़ के जंगल में मीलों पैदल चलने वाले नक्सली अब सड़कों पर फर्राटे से गाड़ी दौड़ाते नजर आएंगे. दरअसल पुलिस ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुलिस विभाग में ही ड्राइवर बनाने का फैसला लिया है. पुलिस ने पूर्व नक्सलियों को बाकायदा 15 दिन की ड्राइविंग की ट्रेनिंग भी दी है. विभाग के पास ऐसे कई वाहन हैं, जिनमें ड्राइवर नहीं हैं. ऐसे वाहनों की चाबी अब पूर्व नक्सलियों के हवाले होगी.
हालांकि पुलिस से ड्राइविंग सीखने के बाद यह जरूरी नहीं कि पूर्व नक्सली पुलिस की ही गाड़ी चलाएं, वे चाहें तो अपनी निजी वाहन खरीद स्वरोजगार भी अपना सकते हैं. इसके लिए उन्हें पुलिस की ओर से फाइनेंस भी मुहैया कराया जाएगा.
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के एसपी डॉ. संजीव शुक्ला ने बताया कि ऐसे नक्सलियों को ड्राइविंग का प्रशिक्षण दिया गया है. इन्हें पुलिस विभाग में ड्राइवर बनाया जाएगा. जो स्वरोजगार करना चाहते हैं उन्हें वाहन दिलाने लिए फाइनेंस भी उपलब्ध कराया जाएगा.
बताया जाता है कि पुलिस के पास वाहन तो हैं लेकिन ड्राइवरों की कमी है. कई बार विभाग को बाहर से ड्राइवर बुलाना पड़ता है. इधर इन दिनों प्रदेश के युवाओं का नक्सलवाद से मोहभंग हो रहा है. कई नक्सलियों ने हाल के दिनों में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है.
अकेले राजनांदगांव में ही अब तक 21 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. आत्मसमर्पण के बाद नक्सलियों से छोटा-मोटा काम लिया जाता रहा, लेकिन पूर्व नक्सली भी चाहते हैं कि वे मुख्य धारा में शामिल होने के साथ ही आत्मनिर्भर हो जाएं.
छत्तीसगढ़ के पूर्व नक्सलियों के पुनर्वास में जुटी पुलिस ने पाया कि विभाग में ही ड्राइवरों के कई पद खाली हैं. निर्णय लिया गया कि पूर्व नक्सलियों को ड्राइवर बना दिया जाए. जब इस संबंध में समर्पण करने वाले नक्सलियों से पूछा गया तो सभी ने ड्राइविंग सीखने और इसे रोजगार के तौर पर अपनाने में रुचि दिखाई. इसके बाद पूर्व नक्सलियों को इसी महीने 15 दिन तक ड्राइविंग का विशेष प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण का सत्र दो दिन पहले ही खत्म हुआ है.
पूर्व नक्सलियों को पुलिस का ड्राइवर बनाने की पुलिस की योजना से ऐसे नक्सली उत्साहित हैं. नक्सलियों के पूर्व डीवीसी कमांडर व इनामी नक्सली भगत जाड़े ने भी अपने साथियों के साथ ड्राइविंग का प्रशिक्षण लिया है.
नक्सल ऑपरेशन सेल के मुताबिक समर्पित 12 नक्सलियों ने ड्राइविंग सीख ली है. इनमें दो लाख के इनामी कमांडर भगत जाड़े के अलावा लालसाय, दिनेश, सुभाष, कमलेश, श्रीराय, देवसिंह, शांतिलाल, संदीप आदि शामिल हैं. इनमें से कुछ को पुलिस विभाग में ड्राइवर बनाया जाएगा और कुछ को स्वयं का वाहन खरीदने में मदद दी जाएगी.
छत्तीसगढ़ में समर्पित नक्सलियों को ड्राइविंग सिखाकर पुलिस ने 10 लोगों के रोजगार का इंतजाम कर दिया. अब बाकी बचे नक्सलियों के पुनर्वास के लिए भी कोशिश की जा रही है. उनका कहना है कि वे गांव की भोली-भाली दुनिया से भटक कर नक्सलियों के साथ हो गए थे. वहां अपमान सहा और पछतावा हुआ. तंग आकर जंगल छोड़ दिया.
अब पुलिस व प्रशासन की मदद से उन्हें दोबारा समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर मिल रहा है, जिसका वे उपयोग करना चाहते हैं.