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बलौदा बाजार हिंसा में गिरफ़्तार लोगों को रिहा करे सरकार-चंद्रशेखर

रायपुर । संवाददाता: भीम आर्मी के मुखिया और सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा है कि बलौदाबाजार में हुई हिंसा की घटना सोची-समझी साजिश है. लगातार समाज के युवाओं को टारगेट किया जा रहा है.

गुरुवार को रायपुर पहुँचे उत्तर प्रदेश के नगीना के सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद कहा कि जो समाज के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें ही जेल में बंद किया जा रहा है. यह पुलिस और प्रशासन का फेलियर है.

आज़ाद ने कहा कि मैंने राज्यपाल से कहा है कि वह सरकार से जवाब तलब करें. अगर उसके बाद भी कार्रवाई नहीं होती है, अगर ये सब नहीं रुकता है तो देश-व्यापी आंदोलन होगा.

उन्होंने कहा कि सरकार अगर सतनामी समाज के लोगों को टारगेट करके उनकी जबान दबाने का काम करेगी तो हम लोग चुप नहीं रहेंगे. प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर हम मजबूत आंदोलन करेंगे.

आज़ाद ने कहा कि जिन फाइलों में आग लगी वह किनकी है, किसे बचाया जा रहा है, यह बात हम नहीं समझ रहे हैं.

सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि बलौदाबाजार में हिंसा की घटना निंदनीय है. मैं भी यह मांग करता हूं कि उसमें सख्त कार्रवाई हो, लेकिन जिन्होंने अपराध किया है, उनके ऊपर ही हो. अपराध तब तक साबित नहीं होता है, जब तक उसकी जांच न हो.

उन्होंने आरोप लगाया कि निर्दोष लोगों पर कार्रवाई करके दोषियों को बचाया जा रहा है. आज़ाद ने कहा कि यह जानबूझकर किया गया षड्यंत्र है. ऐसा क्यों होता है कि घटना में कुछ ही फाइल जलती है. बाहर के हिस्से में आग नहीं लगती. इस मामले में उलझाकर प्रदेश में गंभीर जो मामले चल रहे हैं, उनमें पर्दा हटाने का जो इंतजाम चल रहा है, वह नहीं चलेगा. इस बात का जवाब देना पड़ेगा.

चंद्रशेखर आज़ाद ने भीम आर्मी के पदाधिकारियों की गिरफ़्तारी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जांच के लिए न्यायिक कमेटी बनाई गई है, उसने 3 माह का समय मांगा है, उससे पहले ही सतनामी समाज के लोगों पर हिंसा की जा रही है. उन्हें पकड़ा जा रहा है, पीटा जा रहा है, उनकी खाल उतारी जा रही है, उन्हें जेल भेजा जा रहा है. ऐसा लगता है कि समाज से कोई पुरानी रंजिश हो.

उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद सतनामी समाज को भी एहसास हो गया है कि उनका अपना कौन है और उनसे वोट की इच्छा रखने वाला या वोट के आधार पर उन्हें अपना कहने वाला कौन है.

चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि इस घटना की सीबीआई जांच हो और सुप्रीम कोर्ट के जजों की निगरानी में हो, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. मेरे दोस्त लोग जिन्हें जेल भेजा गया है, उन्हें बिना शर्त के रिहा किया जाए.

क्या हुआ था

15 मई की रात को गिरौधपुरी से लगे हुए एक इलाके में धार्मिक प्रतीक जैतखाम में तोड़फोड़ करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होने से नाराज़ सतनामी समाज के लोगों ने सोमवार को बलौदा बाजार-भाटापारा जिले के कलेक्टर, एसपी, पंचायत समेत कई सरकारी कार्यालयों में आग लगा दी थी.

इसके अलावा 77 गाड़ियों को आग लगा दी गई थी. यहाँ तक कि आग बुझाने के लिए पहुँची दमकल की दो गाड़ियों को भी भीड़ ने आग के हवाले कर दिया था.

उग्र भीड़ इस बात के लिए अड़ी हुई थी कि उनके धार्मिक प्रतीकों को तोड़ने के मामले में राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यायिक जाँच के बजाय, सीबीआई से जाँच कराई जाए.

इस मामले में राज्य सरकार ने तत्कालीन कलेक्टर के एल चौहान और एसपी सदानंद कुमार को पहले वहां से हटाया और इसके बाद दोनों को निलंबित भी कर दिया.

बलौदा बाज़ार हिंसा के मामले में पुलिस ने लगभग 140 से अधिक लोगों को अब तक गिरफ़्तार किया है और यह सिलसिला जारी है.

क्यों नाराज़ था सतनामी समाज

असल में सतनामी समाज के धर्म स्थल गिरौदपुरी धाम के पास 15-16 मई को तोड़फोड़ की गई थी. गिरौदपुरी धाम से लगभग पांच किलोमीटर दूर एक मानाकोनी बस्ती में बाघिन गुफा है.

आरोप है कि इसी स्थल पर जैतखाम और पूजा स्थल में तोड़-फोड़ की गई थी.

इस मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था.

लेकिन समाज का आरोप है कि जिन्हें गिरफ़्तार किया गया है, वो असली आरोपी नहीं हैं.

इसके बाद से ही सतनामी समाज मामले की जांच की मांग कर रहा था.राज्य सरकार ने मामले की न्यायिक जांच की घोषणा कर दी थी. लेकिन इसके बाद भी नाराज़ भीड़ ने कलेक्टर, एसपी समेत कई सरकारी कार्यालयों को आग लगा दी थी.

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