राष्ट्र

सरकार झुकी, केजरीवाल का धरना खत्म

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: अरविंद केजरीवाल ने दो दिन से चल रहे अपनी सरकार और आम आदमी पार्टी के धरने को खत्म करने की घोषणा मंगलवार शाम कर दी. धरने पर बैठे मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगें आंशिक रूप से मान ली है.

अशोक राजपथ के निकट रेल भवन के सामने धरना दे रहे मुख्यमंत्री और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के समर्थन में धरना स्थल पर लोगों की बढ़ती की तादाद और बेकाबू होती भीड़, गणतंत्र दिवस परेड और झांकियों की रिहर्सल में बाधा की आशंका से केंद्र सरकार पर दबाव बना और अंतत: उसे झुकना पड़ा.

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रदर्शन स्थल को बदलने के लिए उन्हें दो बार मनाने की कोशिश की थी. हालांकि, केजरीवाल ने इससे इंकार कर दिया था. दिल्ली पुलिस के उपायुक्त एस.बी.एस.त्यागी ने बताया था, “हमने केजरीवाल से दो बार बात की और उन्हें उनका प्रदर्शन स्थल जंतर-मंतर करने का आग्रह किया, यहां की तरह वहां धारा-144 लागू नहीं है.”

गौरतलब रहे कि भाजपा तथा कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल को जमकर कोसा था. कांद्रेस के नेता तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा था, “उन्होंने लोगों से वादे किए थे और जब वादे पूरे करने का समय आया तो वे इससे भाग रहे हैं.” उन्होंने कहा था, “इस देश के लोगों को आम आदमी पार्टी से यह पूछन की जरूरत है कि क्या वह भारत को एक गणराज्य मानती है? अगर मानती तो इस तरह अराजकता नहीं फैलाती.”

दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा था, “दिल्ली पुलिस के खिलाफ आम आदमी पार्टी जैसा कर रही है, पहले कभी आपने ऐसा देखा है? ये काम नहीं कर पाने के कारण अपनी कमियों को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं.” गोयल ने कहा था, “अगर सरकार चलाना नही चाहते तो केजरीवाल ने सरकार क्यों बनाई. इसमें आप और कांग्रेस की मिलीभगत है. अगर ऐसा नहीं है तो कांग्रेस आप सरकार को समर्थन क्यों दे रही है?”

भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने भी आम आदमी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा था, “आप ने भ्रष्ट शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन ऐसा नहीं कर इससे लोगों का ध्यान बंटाना और कानून की जद में आए अपने मंत्री को बचाना चाहती है.”

आऐम आदमी पार्टी के धरने के कारण एक बार फिर से यह बहस छिड़ गई है कि दिल्ली पुलिस किसके अधीन रहे, केन्द्र सरकार के या दिल्ली सरकार के.

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