माओवादी मोर्चे पर जवानों की शहादत से अधिक हार्ट अटैक, बीमारी से मौत
रायपुर | संवाददाता: माओवाद प्रभावित इलाकों में जितने सुरक्षा बल के जवानों की नक्सलियों से आमने-सामने की लड़ाई में शहादत होती है, अकेले केंद्रीय सुरक्षा बलों के उससे कहीं अधिक जवान हार्ट अटैक और दूसरी बीमारियों से मारे जा रहे हैं.
माओवादी मोर्चे पर तैनात जवानों की मौत के पीछे बस्तर के इलाके में कभी मच्छर को एक बड़ा कारण माना जाता था. केवल मलेरिया से ही बड़ी संख्या में जवानों की मौत हो जाती थी.
इस मोर्चे को फतह करने के बाद भी काम के घंटे, अनिश्चिंतता, कई-कई दिनों के थका देने वाले ऑपरेशन और फिर घर-परिवार की चिंता का जवानों की सेहत पर फर्क़ पड़ता है. हालांकि प्रत्येक केंद्रीय बल में इस बात की लगातार कोशिश हो रही है कि जवानों को ऐसी परिस्थितियों से उबारा जाए, जिसके कारण वे तनाव में आते हैं.
लेकिन इसका कोई बड़ा असर पड़ा हो, ऐसा नहीं लगता.
राज्य के पुलिसकर्मियों समेत केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों की शहादत के आंकड़े बताते हैं कि 2019 में माओवादी मोर्चे पर तैनात कुल 52, 2020 में 43 और 2021 में 50 जवानों की जान माओवादी हमलों में हुई.
लेकिन इसी दौरान केवल सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स के आंकड़ों को ही देखें तो 2019 में 84, 2020 में 130 और 2021 में 129 जवान हार्ट अटैक या दूसरी बीमारी से मारे गए.
नक्सल इलाकों में हार्ट अटैक और बीमारी से सीएपीएफ जवानों की मौत
सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स | 2019 | 2020 | 2021 | 2022 | 2023 | कुल |
---|---|---|---|---|---|---|
सीआरपीएफ | 45 | 63 | 73 | 62 | 54 | 297 |
बीएसएफ | 22 | 21 | 22 | 21 | 22 | 108 |
आईटीबीपी | 8 | 15 | 17 | 15 | 19 | 74 |
एसएसबी | 1 | 6 | 3 | 5 | 7 | 22 |
सीआईएसएफ | 8 | 25 | 14 | 15 | 14 | 76 |
कुल | 84 | 130 | 129 | 118 | 116 | 577 |